Published on October 6, 2021 10:21 pm by MaiBihar Media

पितरो को तर्पण देने का आज आखरी दिन था। इस आखरी दिन का विशेष महत्व भी होता है। यूं तो अमूमन लोग तर्पण के लिए गया देश व विदेश से आते ही रहते हैं। लेकिन आज यानी बुधवार को मुम्बई से गयाधाम पहुंची किन्नर महामंडलेश्वर हिमांगी सखी निर्मोही अखाड़ा खालसा किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर ने पूर्वजों का श्राद्ध किया।

देवघाट फल्गु तट पर बैठ माता-पिता के साथ-साथ पूर्वजों का पिंडदान किया। साथ ही वैश्विक आपदा कोरोना महामारी से हुई लोगों की मौत के बाद उनकी आत्मा की शांति के लिए मोक्षदायिनी फल्गु में तर्पण किया।

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पिंडदान का कर्मकांड कर क्या बोलीं आर्चाय -पिंडदान का कर्मकांड उन्होंने विधि विधान के साथ की। कर्मकांड को पूरा करने के बाद पिंड को फल्गु, अक्षयवट व विष्णुपद वेदी पर चढ़ाया। इस बीच आचार्य महामंडलेश्वर ने कहा कि गयाधाम एक पावन तीर्थ है। यहां पिंडदान करने से पूर्वजों को बैकुंठधाम में शरण मिलता है। इसी उद्देश्य से इस स्थान पर पिंडदान के लिए आयी हूं। उन्होंने बताया कि यहां आकर काफी अच्छा लगा। भगवान विष्णु के पावन चरण के दर्शन से मन प्रसन्न हो उठा।

लोगों से किया यह अपील-उन्होंने आम लोगों से भी अपील की कि जिस तरह से हम सभी न्यू ईयर, बर्थ डे व अन्य पर्व-त्योहार मनाते है। उसी तरह पितरों के इस महापर्व को खुशियों के साथ मनाए। हर प्राणी अपने पितरों का पिंडदान व तर्पण जरूर करें।  

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