Published on November 21, 2022 2:47 pm by MaiBihar Media

सोनपुर मेले में सुप्रसिद्ध लोकगायिका कल्पना पटवारी ने आपने सुरों से मेले की शाम को यादगार बना दिया। कल्पना के मंच पर आते ही मौके पर मौजूद दर्शकों ने उनका तालियों से जोरदार स्वागत किया। वहीं कल्पना ने लाेगों का अभिवादन स्विकार किया । मूल रूप से असम की रहने वाली इस गायिका ने जब हिंदी और भोजपुरी को श्रोताओं के सामने अपने गीतों को परोसना शुरू किया तब दर्शकों से खचाखच भरा पंडाल झूम पड़ा। उन्होंने अपने कार्यक्रम की प्रस्तुति छठ गीत केलवा जे फरेला घवद से से की। उसके बाद भिखारी ठाकुर की गीत चला हरिहर क्षेत्र मेला घूमे ला गीत की प्रस्तुति से श्रोताओं के मन मोहा। उसके बाद कबीर द्वारा रचित पागल कहेला ना लोगवा पागल कहेला ना, हे गणेश के पापा, केसरिया बालम पधारो मारे देश, कौने दिशा में लेके चला रे बटोहिया, बलमुआ कैसे तेजब हो, छोटी ननदी दबे पांव अईहा नजरिया बचाके, झुमका झूलानिया हो असली नथुनिया, चाहे कजरा के धार तोहार एक मुस्कान हमार सोरहो सिंगार और छपरहिया पूर्वी माटी मे मिलल जाला चढ़ल जवनिया आदि एक से बढ़कर एक गीतों की झड़ी से दर्शक झूमते रहे।

फरमाइसी गीतों का भी चला दौर

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कल्पना पटवारी ने लोगों की मांग पर कई फरमाइशी गीतों को गाया। जिस दौरान लोगों ने जमकर तालियां बजाई। वहीं लाेगों ने कल्पना के गाने के अंदाज व गीतों की जमकर सराहना की। मौके पर मौजूद लोगों ने कहा कि अबतक के चल रहे कार्यक्रमों के दौर में कल्पना पटवारी का अंदाज सबसे जुदा रहा। सभी दर्शक कायल रहे। उनकी हर बात को लोगों ने ध्यान से सुना व गीत का जमकर आनंद उठाया।

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