Published on November 29, 2021 8:47 pm by MaiBihar Media
संसद ने साेमवार काे तीन कृषि कानूनाें काे वापस लेने का विधेयक पारित कर दिया। विपक्ष ने दाेनाें सदनाें में विधेयक पास किए जाने के दाैरान उसपर चर्चा कराए जाने की मांग की। इस दाैरान हंगामे में दिनभर दाेनाें सदनाें की कार्रवाई बाधित हाेती रही। अब इसपर राष्ट्रपति की मंजूरी मिलना बाकी है। सदन की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री ने विपक्षी दलों से हंगामा नहीं करने का भी अपील किया था।
चर्चा न कराने काे लेकर हंगामा
बहरहाल, शीतकालीन सत्र के पहले दिन लाेकसभा में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ताेमर ने तीनाें कानूनाें काे रद्द करने संबंधी विधेयक पेश किया और चार मिनट के भीतर ही ध्वनिमत से सदन ने इसे पास कर दिया। दाेनाें सदनाें में विपक्ष ने बहस की मांग करते हुए हंगामा किया। राज्यसभा में कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हम विधेयक काे समर्थन देते हैं लेकिन हम चाहते थे कि उस पर चर्चा हो। लेकिन सरकार ने टालने की कोशिश की। उन्हाेंने कहा कि केंद्र सरकार ने उपचुनाव के नतीजे देखने के बाद कृषि कानून वापस लेने का फैसला किया। पांच राज्यों में चुनाव है, इसलिए सरकार को लगा कि अड़े रहे तो कड़ा नुकसान हो सकता है।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इसके जवाब में कहा कि ‘हम किसानों को समझाने में सफल नहीं हुए इसलिए प्रधानमंत्री ने बड़प्पन का परिचय दिया। कृषि कानूनाें काे वापस लेने पर सरकार और विपक्षी दलाें में एकराय थी। लाेकसभा में चर्चा हाे सकती थी लेकिन विपक्षी सदस्याें के शाेरशराबे के कारण यह संभव नहीं हाे सका।
क्यों अभी भी जारी है किसानों का आंदोलन
राज्यसभा में भी विधेयक बिना चर्चा के पास हाे गया। संसद में कृषि कानून वापसी बिल पास होने पर संयुक्त किसान माेर्चा के नेताओं ने कहा कि यह हमारी जीत है। अब सरकार एमएसपी काे कानूनी जामा पहनाए। एमएसपी सहित छह मांगें हैं। उन्होंने कहा कि आंदाेलन की अगली रणनीति पर मंगलवार काे आपात बैठक बुलाई गई है।
आपको बता दें कि तीनों कृषि कानूनाें के विराेध में एक साल से चल रहे किसान आंदाेलनाें के चलते प्रधानमंत्री ने 19 नवंबर को कृषि कानूनाें काे वापस लेने की घाेषणा की थी। पिछले साल सितंबर में संसद ने इन कानूनाें काे मंजूर किया था।