Published on November 28, 2021 2:46 am by MaiBihar Media
26 नवंबर को हर साल देश में संविधान दिवस (Samvidhan Divas) के रूप में मनाया जाता है। यह दिन हर भारतीय के लिए खास होता है। यही वह दिन है जब देश की संविधान सभा ने मौजूदा संविधान को विधिवत रूप से अपनाया था। 2015 में, केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय ने नागरिकों के बीच संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने के केंद्र के फैसले को अधिसूचित किया। तब से हर वर्ष मनाया जाता है। संसद के सेंट्रल हॉल में शुक्रवार को संविधान दिवस का कार्यक्रम होगा हालांकि इस कार्यक्रम से विपक्षी पार्टियों ने दूरी बना ली है। आज इस दिवस को लेकर प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह समेत कई नेताओं ने देशवासियों को महतता बताई है। चलिए जानते हैं कुछ खास…
एक संविधान किसी देश में शासन के लिए आधार प्रदान करता है, जो यह सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि सभी के हितों और जरूरतों को ध्यान में रखा जाए। भारत एक विविधताओं का देश है। संविधान पूरे भारत को एकता में पिरोता है। यही वजह है कि यहां एकता में अनेता देखने को मिलता है। चाहे जाति-धर्म या खान-पान या पहनावा की बात हो। सभी एक नियमों में बधे होते हैं। सभी के लिए एक समान कानून हैं।
सबसे पहले बता दें कि आज इस दिवस पर प्रधानमंत्री (Prime Minister) ने सोशल मीडिया (Social Media) पर संविधान की एक पेज को शेयर किया है और लिखा है कि कोई भी संविधान चाहे वह कितना ही सुंदर, सुव्यवस्थित और सुदृढ़ क्यों न बनाया गया हो, यदि उसे चलाने वाले देश के सच्चे, निस्पृह, निस्वार्थ सेवक न हों तो संविधान कुछ नहीं कर सकता। डॉ. राजेंद्र प्रसाद (Doctor Rajendra Prasad) की यह भावना पथ-प्रदर्शक की तरह है। इसके अलावे प्रधानमंत्री ने संसद में आयोजित कार्यक्रम में विपक्ष के किनारे पर कहा कि जो दल लोकतांत्रिक कैरेक्टर खो चुके हों, वो लोकतंत्र की रक्षा कैसे कर सकते हैं ? कुछ राजनीतिक दल फॉर द फैमिली, पार्टी- बाय द फैमिली के तर्ज पर चलती हैं…यही लोकत्रंत के लिए घातक है।
वहीं, केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि संविधान लोकतंत्र की आत्मा होने के साथ-साथ भारत की एकता व प्रगति का मूल आधार है। संविधान दिवस पर भारतीय संविधान के शिल्पी बाबासाहेब अंबेडकर व सभी महापुरुषों को नमन करता हूँ। मोदी (Modi) सरकार बाबासाहेब के पदचिन्हों पर चलकर देश के हर वर्ग के कल्याण व उन्हें अधिकार दिलाने हेतु कटिबद्ध है।
इसके साथ ही यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने भी ट्वीट कर लिखा है कि भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए सर्वसमावेशी संविधान के स्वीकृति दिवस ‘संविधान दिवस’ की आप सभी को बधाई। आइए, संविधान निर्मात्री सभा के सभी सदस्यों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए हम सभी संविधान के पालन हेतु प्रतिबद्ध हों।
संसद में आयोजित संविधान दिवस कार्यक्रम से विपक्ष ने किया किनारा
संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित कार्यक्रम का बायकॉट कर रहे विपक्षी नेताओं में शामिल कांग्रेस का कहना है कि भाजपा संविधान का पालन नहीं कर रही। इस कारण उन्होंने इस कार्यक्रम से दूरी बनाने का फैसला किया है।
इस बाबत शिवसेना नेता संजय राउत का कहना है कि संविधान का देश में महत्व है। डॉ. बाबा साहब अंबेडकर के नेतृत्व में जनता को अधिकार दिए गए लेकिन आज राज्य, जनता को कुचल दिया जाता है, तो संविधान का मतलब क्या होता है? कहां है संविधान? हमारी सरकार बहुमत में है फिर भी हमारे पीछे जांच एंजेसी, कभी राजभवन लग जाते। इस लिए उनकी पार्टी भी संसद भवन में आयोजित कार्यक्रम में शिरकत नहीं करने वाले हैं।
वहीं, बीएसपी प्रमुख मायावती ने कहा है कि SC/ST, OBC वर्गों का ज़्यादातर विभागों में आरक्षण का कोटा अधूरा पड़ा है। इनके लिए निजी क्षेत्र में आरक्षण की व्यवस्था नहीं की गई है। केंद्र और राज्य सरकारे इस मामले में क़ानून बनाने के लिए तैयार नहीं है। ऐसी सरकारों को संविधान दिवस मनाने का अधिकार नहीं है। आगे कहा है कि केंद्र और राज्य सरकारें इस बात की गहन समीक्षा करें कि क्या ये पार्टियां संविधान का सही से पालन कर रही हैं? अर्थात नहीं कर रही हैं इसलिए हमारी पार्टी ने केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा संविधान दिवस मनाने के कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेने का फ़ैसला किया है।
इतिहास और महत्व
भारत के पहले कानून मंत्री डॉ भीमराव रामजी अंबेडकर को 1947 में संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया और उन्हें देश का नया संविधान लिखने की जिम्मेदारी दी गई। भारत का संविधान कई देशों के संविधानों का एक समावेश है। इसके कई हिस्से यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, जर्मनी, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और जापान के संविधान से लिये गये हैं। भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है। बता दें पूरा संविधान तैयार करने में 2 वर्ष, 11 माह 18 दिन लगे थे। यह 26 नवंबर, 1949 को पूरा हुआ था। 26 जनवरी, 1950 को भारत गणराज्य का यह संविधान लागू हुआ था।
यह संविधान ही है जो हमें एक आजाद देश का आजाद नागरिक की भावना का एहसास कराता है। संविधान के दिए मौलिक अधिकार हमारी ढाल बनकर हमें हमारा हक दिलाते हैं, वहीं इसमें दिए मौलिक कर्तव्य में हमें हमारी जिम्मेदारियां भी याद दिलाते हैं।