Published on November 6, 2021 10:33 am by MaiBihar Media
हिंदू पंचाग के हिसाब से भाई दूज का त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। भाई दूज के साथ दिवाली के त्योहार का समापन होता है। भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक ये त्योहार सभी के लिए खास होता है। आज भाई-दूज का त्योहार देशभर में मनाया जा रहा है। इस मौके पर भाई दूज की पूजा भी होती है। इस विशेष पूजा के साथ ही चार माह बाद आज से मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाएंगे। दरअसल, आज गोधन कुटाई का कार्य होगा। जिसके बाद भाई दूज के त्योहार के साथ दिवाली का पांच दिन का उत्सव अपने अंतिम चरण में पहुंच जाएगा। चलिए जानते है भाई दूज का शुभ मुहूर्त और मान्यता……….
शुभ मुहूर्त
ऐसी मान्यता है कि बहनें भाई को गोधन कूट स्थान से बजड़ी लाकर अपने
भाई को खिलाती है, और भगवान से दीर्घायु होने की कामना करती है। इस साल भाई दूज के लिए सबसे अच्छा मुहूर्त दोपहर में 01.10 से लेकर 3.21 बजे तक का है। इस समय पर भाई को तिलक लगाना अच्छा रहेगा। इस साल द्वितिया तिथि 05 नवंबर रात में 11 बजकर 14 मिनट से शुरु होकर, 06 नवंबर शाम 07 बजकर 44 मिनट तक रहेगी।
गोवर्धन पूजा से शुरू होता है मांगलिक कार्य
गोवर्धन पूजा के बाद गोधन कूटने के साथ ही हिन्दु समुदाय में शादी ब्याह संबंधी कार्य का शुभारंभ शनिवार से हो जाएगा। बहनों ने अपने भाइयों के लंबी उमर के कामना के साथ ही बजरी खिलाई। रेगनी के कांट से भाईयों को पहले बहनों ने मृत किया फिर उसे जिलाया।
क्या है मान्यता
इसके पिछे ऐसी मान्यता है कि देवी यमुना अपने भाई यमराज से बहुत प्रेम करती थी लेकिन वे दोनों लंबे समय तक मिल नहीं पाते थे। एक बार यम अचनाक दिवाली के बाद बहन यमुना से मिलने पहुंच गए। तब खुशी में यामी ने तमाम तरह के पकवान बनाए और भाई यम के माथे पर तिलक किया। इससे खुश होकर उन्होंने यमुना से वरदान मांगने को कहा। इस पर यमुना ने अपने भाई से कहा कि वे चाहती हैं कि यम हर साल उनसे मिलने आएं और आज के बाद जो भी बहन अपने भाई के माथे पर तिलक करे उसे यमराज का डर न रहे। यमराज ने यमुना को ये वरदान दिया और उस दिन से भाई दूज का त्योहार मनाया जाने लगा।