डीएमसीएच के शिशु विभाग में भर्ती दो बच्चों की इलाज के दौरान मौत हो गई। दोनों बच्चे बैक्टेरिया निमोनिया से पीड़ित थे। वहीं इस घटना के बाद परिजनाें ने चिकित्सकों पर लापरवाही का आराेप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। वे शव ले जाने से इनकार कर दिए। वहीं मौके पर पहुंची पुलिस के समझाने के बाद मामला शांत हुआ। बैक्टेरिया निमोनिया से मौत की पुष्टि वरीय चिकित्सक डॉ. अशोक कुमार ने की।
बेनीपट्टी गांव के पांच साल के मासूम ने तोड़ा दम-जानकारी के अनुसार मधुबनी जिले के बेनीपट्टी गांव के लाल वत्स के पांच माह के बेटे काे गुरुवार की देर शाम में अस्पताल में एडमिट किया गया था। शुक्रवार की सुबह बच्चे ने दम तोड़ दिया। परिजानों ने बताया कि उसे सांस लेने में दिक्कत थी। उसकी मौत पर परिजनाें ने डाॅक्टराें पर लापरवाही का अाराेप लगाकर जमकर हंगामा किया।
बिरौल की तीन माह की बच्ची की हुई मौत
वहीं बिरौल की किरण देवी की 3 माह की बच्ची सरिता की मौत दिन के 2.20 बजे हो गई। नाना लक्ष्मी शर्मा और बच्ची की मां किरण देवी ने बताया कि सरिता 4 दिनों से शिशु वार्ड में ही भर्ती थी। स्थिति गंभीर होने पर उसे वार्ड से इमरजेंसी में शिफ्ट किया गया।
शव लेकर एंबुलेंस के लिए इंतजार करते रहे परिजन
वही मृत बच्चे को घर लेकर जाने के लिए शिशु विभाग के परिसर में बिरौल प्रखंड की किरण देवी रोती बिलखती रही, पर घंटों इंतजार के बाद भी एम्बुलेंस तक नहीं मिल सका। कुछ परिजनों का यह भी कहना था कि बच्चे की मौत के बाद बेडसीट भी नहीं बदली जाती है। उसे बेडसीट पर दूसरे बच्चे को इमरजेंसी में भर्ती कर दिया गया।
परिजनों ने कहा- चिकित्सक कहते हैं, ले जाना है तो ले जाओ
शिशु वार्ड परिसर में भर्ती हनुमाननगर प्रखंड की 10 वर्षीया प्रीति कुमारी पैरालिसिस से पीड़ित है। दायां तरफ से शरीर काम नहीं कर रहा है। उसके परिजन का कहना था कि दो दिनों से भर्ती है। स्थिति खराब होने पर उसे शुक्रवार को इमरजेंसी में लाया गया। डॉक्टर कह रहे है की बच्ची गंभीर है, अगर ले जाना है तो ले जाओ।
24 दिनों में वायरल बुखार 107 बच्चे अस्पताल में हुए भर्ती
शिशु विभाग के इमरजेंसी में शुक्रवार को इलाज के लिए 44 बच्चे पहुंचे। जिसमें से 7 गंभीर बच्चे को भर्ती किया गया। वहीं 24 घंटे में वायरल बुखार के 2 बच्चे भर्ती हुए। 2 बच्चे को डिस्चार्ज किया गया। अभी 7 बच्चे का इलाज किया जा रहा है। वहीं सितंबर के 24 दिनों में वायरल बुखार 107 बच्चे अस्पताल में भर्ती हुए। जिसमें से 100 बच्चे को इलाज कर घर भेज दिया गया। डॉक्टरों का कहना है कि एक भी बच्चे की मौत वायरल बुखार से नहीं हुई।