Published on April 12, 2024 1:27 pm by MaiBihar Media
भोजपुरी गायक और अभिनेता पवन सिंह ने आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की है। उन्होंने बताया कि बिहार की काराकाट सीट से चुनाव लड़ेंग। वह इस सीट पर राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के प्रमुख और एनडीए उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे तो दूसरी ओर इंडिया गठबंधन से काराकाट सीट सीपीआई को मिली है। भाजपा पर आरोप तो राजद को फायदा मिलते दिख रहा है।
आसनसोल से भाजपा ने बनाया था उम्मीदवार
बता दें कि पवन सिंह ने एक माह पहले भाजपा के सीट से पश्चिम बंगाल के आसनसोल निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। आगामी आम चुनावों के लिए भाजपा के उम्मीदवारों की पहली सूची में उनका नाम शुरू में रखा गया था भाजपा ने अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा के खिलाफ खड़ा किया था, जो निवर्तमान लोकसभा में आसनसोल से तृणमूल कांग्रेस के सांसद हैं। मालूम हो कि भोजपुरी स्टार ने दावा किया था कि वह अपनी माँ से किए गए वादे का सम्मान करने के लिए चुनाव लड़ेंगे। सिंह ने पिछले महीने अपने एक्स हैंडल पर लिखा था, ”मैं अपनी मां, अपने समाज और लोगों से किए गए वादे को पूरा करने के लिए चुनाव लड़ूंगा।”
कुशवाहा के राजनितिक करियर पर लग सकता है ग्रहण
राजनितिक गलियारों में चर्चा है कि भाजपा पवन सिंह को मोहरा बनाकर उपेंद्र कुशवाहा धीरे-धीरे ख़त्म कर सकती है। माना जा रहा है पवन सिंह यदि इस काराकाट से निर्दलीय चुनाव लड़ते है तो आगे चलकर भाजपा का दामान थाम सकते है। वही उपेंद्र कुशवाहा के राजनितिक करियर पर भी ग्रहण लगते दिख रहा है। दूसरी ओर कहा जा रहा है कि काराकाट सीट को राजद सिवान लोकसभा सीट से बदल सकती। राजनितिक जानकारों का कहना है कि पवन सिंह राजद में शामिल हो सकते है और सीट बदलाव के साथ ही काराकाट से पवन सिंह राजद से ताल ठोक सकते है। ऐसी संभावना है इसपर अबतक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
आरा छोड़ कर पवन सिंह ने क्यों चुना काराकाट?
पवन सिंह के काराकाट चुनने की सबसे अहम वजह इस सीट पर राजपूत जाति की ठीक ठाक आबादी है। महागठबंधन और एनडीए दोनों ने यहां से कुशवाहा जाति के उम्मीदवार को मौका दिया है। ऐसे में पवन सिंह को उम्मीद है कि वे सवर्ण वोटरों की बीच सेंध लगा सकते हैं। जातीय समीकरण की बात करे तो काराकाट यादव तथा कुशवाहा बहुल इलाका है। अगड़ी जातियों में सबसे अधिक संख्या राजपूत वोटरों की है। पवन सिंह की नजर इसी पर है। इसके अलावा यहां पर मुस्लिम वोटर भी अच्छी तादाद में हैं। अति पिछड़ा में मल्लाह की वोट काफी है, जो राजनीतिक समीकरण बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।