Published on December 30, 2021 2:20 pm by MaiBihar Media


मौसम की बार-बार दगाबाजी के कारण अन्नदाता अब धान और गेहूं के पारम्परिक खेती को छोड़ कर सब्जी की खेती की ओर बढ़ रहे है। इस बार किसान बड़े पैमाने पर मिर्च, टमाटर, गोभी, लौकी, नेनुआ, पालकी सांग, मुली सहित अन्य की सब्जी की खेती को करना बेहतर समझ रहे है। तीन माह में ही लागत मूल्य से दुगना मुनाफा को देख किसान भी इस नगदी फसल की ओर प्रेरित हो रहे हैं। किसान गेहूं व धान के बीज के तरह ही सब्जी के भी हाइब्रिड बीज का प्रयोग कर रहे हैं। वहीं अपनी फसलों को नीलगायों, हिरण, सांड, भैंसा सहित अन्य जंगली जानवरों से बचने के लिए खेतों की घेराबंदी कर अधिक उत्पादन के लिए यूरिया, पोटास, डीएपी, जाइम सहित अन्य उर्वरकों का प्रयोग कर रहे हैं। कीटों से बचाव हेतु पंद्रह दिनों में एक बार कीटनाशक दवाओं का प्रयोग कर किया जाता है। किसानों का कहना है कि अपनी मेहनत के बल पर बिना सरकारी सहायता के सब्जी के उत्पादन कर रहे है। परंपरिक तरिके से खेती करने में अब फायदा नहीं दिख रहा है। तीन माह के अंदर ही एक एकड़ में 50 हजार की बचत होती है। एक साल में तीन चार फसल मौसम के अनुकूल उगाकर काट लेते है। हर फसल में 45 से 50 हजार की बचत हो जाती है। यानी एक साल में डेढ़ लाख से दो लाख तक शुद्ध मुनाफा होता है। हालांकि आमदनी और बढ़ सकती है। बाजार नहीं होने से आढ़तिया थोक विक्रेता इसका लाभ उठा रहे है। किसानों का कहना है कि अधिक लाभ पाने के लिए दिन रात मेहनत करना पड़ता है, एक एकड़ में तीन माह के अंदर एक लाख रुपये तक की बिक्री हो जाता, 45 से 50 हजार रुपया खाद, बीज पटवन , मजदूर,व माल की ढुलाई में खर्च हो जाता है। फिर भी 50 हजार रुपए की बचत हो जाती है इस वक्त आलू ,गोभी,टमाटर की खेती में आमद हो रही है। एक एकड़ में एक लाख से अधिक बिक्री हो रही, आलू,टमाटर,गोभी की खेती के बाद प्याज और जेठुआ सब्जी की खेती उसी खेत में किया जायेगा। वहीं अधिकारियों ने बताया कि सरकार निबंधित किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना से लाभ मिल रहा। खेती-बारी करने वाले किसान खेत का रसीद, आधार कार्ड, नाम, पता, बैंक खाता से ऑनलाइन निबंधित होकर योजना का लाभ पा सकते है। एक साल में छः हजार रुपये उनके खाते में प्रोत्साहन राशि भुगतान किया जाता है।

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