Published on November 1, 2021 8:31 pm by MaiBihar Media

बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान और पटना जंक्शन पर सिलसिलेवार बम ब्लास्ट मामले में सोमवार को एनआइए की विशेष अदालत ने सजा का ऐलान कर दिया। कोर्ट ने चार आतंकियों को फांसी और दो को उम्रकैद की सजा सुनाई है।

वहीं दो दोषियों को 10 तो एक को सात वर्ष की सजा दी गई है। इम्तियाज अंसारी, हैदर अली, नुमान अंसारी और मोजीबुल्लाह अंसारी को फांसी दी गई है। 

कब हुई थी घटना -मालूम हो कि 27 अक्टूबर 2013 को गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और एनडीए के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हुंकार रैली से पहले गांधी मैदान और जंक्शन में हुई वारदात में छह लोगों की जान चली गई थी। साथ ही करीब 85 लोग घायल हो गए थे। जेल में बंद दस अभियुक्तों को पिछले महीने की 27 तारीख को अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया था। नौ को मामले में दोषी और एक को बरी कर दिया गया था। 

एनआइए कोर्ट ने गत् दिनों बताया था दोषी

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एनआइए कोर्ट ने मामले में उमेर सिद्दीकी, अहमद हुसैन, अजहरुद्दीन कुरैशी, हैदर अली, इम्तियाज अंसारी, मोजिबुल्लाह अंसारी, फिरोज अहमद और नुमान अंसारी को आइपीसी एक्ट की विभिन्न धाराओं, एक्सप्लोसिव एक्ट की विभिन्न धारा, यूए(पी) एक्ट और रेलवे एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी करार दिया था। एक अभियुक्त नाबालिग था, जिसे पहले ही तीन वर्ष की कैद की सजा सुनाई जा चुकी है। बताते चले कि जांच के दौरान आतंकियों का कनेक्शन उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के साथ ही छत्तीसगढ़ के रायपुर से जुड़ा था।

जांच में पता चला था कि रायपुर में ही दो आतंकियों की मुलाकात हुई थी। आतंकियों का एक प्लान यह भी था कि अगर वे कामयाब नहीं भी हुए तो सभा में सीरियल ब्लास्ट कर भगदड़ मचा देंगे। 2014 में सभी आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के बाद अबतक 187 लोगों की कोर्ट में गवाही कराई गई थी।  

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सभी आरोपी प्रतिबंधित संगठन सिमी के सदस्य

आपको बता दें कि एनआईए के स्पेशल कोर्ट ने बताया था कि सभी आरोपी प्रतिबंधित संगठन सिमी के सदस्य हैं। सिमी को देश में प्रतिबंधित किया गया था। इस संगठन का उद्देश्य भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाना है। जिसे ये दार-उल-इस्लाम कहते हैं। 25 अप्रैल 1977 को यूपी के अलीगढ़ में बना ये टेररिस्ट ऑर्गेनाइजेशन भारत के खिलाफ जिहाद छेड़ने के लिए जाना जाता है।

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