बिहार में एनजीटी की रोक हटने के बाद एक अक्टूबर से बालू खनन फिर से शुरु होगा। फिलहाल यह खनन आठ जिलों में ही शुरू होगा। वहीं, अन्य जिलों के लिए टेंडर पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए खान एवं भूतत्व विभाग ने विस्तृत कार्ययोजना तैयार की है। जिसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा और मंजूरी मिलने के बाद विभाग आगे की कार्रवाई करेगा। बता दें कि एनजीटी ने एक जुलाई को सूबे में बालू खनन पर रोक लगायी थी।
इन जिलों में शुरू होगा बालू खनन
गौरतलब हो कि जब एनजीटी ने बालू खनन पर रोक लगाया था तब उस समय आधिकारिक तौर पर सिर्फ नवादा, अरवल, बांका, बेतिया, मधेपुरा, किशनगंज, वैशाली और बक्सर में बालू खनन हो रहा था। और अब इन्हीं आठ जिलों में एक अक्टूबर से बालू खनन शुरू होना है। हालांकि पिछले साल तक 14 जिलों में बालू का खनन हो रहा था। इन सभी जिलों में बंदोबस्तधारियों को 30 सितंबर तक बालू खनन की अनुमति थी। अब खबर है कि पुराने बंदोबस्तधारी को नदी घाटों पर खनन के लिए पहले से मिली पर्यावरणीय स्वीकृति को नये बंदोबस्तधारी को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया शुरु की जा रही है। जिसमें आठ जिलों को बालू खनन की अनुमती मिली है।
स्टॉक के बाद लगी थी बालू खनन पर रोक
बालू खनन रोकने के बाद सूबे में कहीं बालू की किल्लत न हो, इसके लिए बालू का भंडारण पहले ही किया गया था। खान एवं भूतत्व विभाग के अनुसार सूबे में 15.64 करोड़ सीएफटी बालू का संग्रहण किया गया था। इसके लिए विभाग ने 19 जिलों में 195 लाइसेंस दिये थे। इनके पास बालू का भंडारण था और कोई व्यक्ति यहां से अपनी जरुरत के अनुसार बालू खरीद सकता था। सरकार का दावा है कि कहीं बालू की किल्लत नहीं होने दी गयी।
खनन शुरू होने के बाद भी मानना होगा यह नियम
एनजीटी के नियमों के तहत पूरे सूबे में पहली जुलाई से बालू का खनन बंद था। यह रोक अगले तीन महीनों के लिए प्रभावी थी। 30 सितंबर तक बालू का खनन नहीं होनी थी। एनजीटी के तय प्रावधान के तहत इन तीन महीनों में किसी नदी में बालू का खनन नहीं हो सकता है। यह तीन माह सूबे में मानसून अवधि होती है और इस दौरान नदियों में काफी पानी होता है। इसीलिए बालू खनन पर रोक रहती है।