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कृषि कानून वापसी की घोषणा के बावजूद किसान आंदोलन जारी है। किसानों के नेता राकेश टिकैत ने मीडिया से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री ने घोषणा की है। इसका लिखित कागज कहां है, जबतक मिल नहीं जाता आंदोलन जारी रहेगा। वहीं, रविवार को सिंघु बॉर्डर पर हुई बैठक में फैसला हुआ कि संसद में कानून रद्द होने और बाकी मामलों पर बातचीत होने तक तक आंदोलन जारी रहेगा। इस बाबत सोमवार को संयुक्त किसान मोर्चे की लखनऊ में महापंचायत भी होगी। 

26 नवंबर को एक साल हो जाएगा आंदोलन का

किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने बताया, हम अपनी लंबित मांगों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ओपन लेटर लिखेंगे। इसमें एमएसपी, विद्युत विधेयक 2020 रद्द करने, आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मामलों की वापसी और लखमीपुर खीरी मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करने जैसी मांगें शामिल होंगी।

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उन्होंने कहा, जब तक मांगें मानी नहीं जातीं, आंदोलन जारी रहेगा। 40 से ज्यादा किसान संगठनों की बैठक में तय हुआ कि 26 नवंबर को आंदोलन का एक साल पूरा होना पर सभी मोर्चों पर प्रदर्शन होगा। संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने पर 29 नवंबर को ट्रैक्टर मार्च होगा।

केंद्रीय कैबिनेट की बुधवार को होने वाली बैठक में तीनों कृषि कानूनों की वापसी के प्रस्ताव पर मुहर लग सकती है। प्रधानमंत्री ने दो दिन पहले ही इन कानूनों को वापस लेने और संसद के शीतकालीन सत्र में इसकी संवैधानिक प्रक्रिया पूरी करने का ऐलान किया था।

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