देहरादून पहुंचे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने संघ के कार्यक्रमों में शिरकत किया। उत्तराखंड के हलद्वानी में हुए एक कार्यक्रम में भागवत ने कहा कि आरएसएस का उद्देश्य हिंदू समाज को संगठित करने का है। उन्होंने इस दौरान यह भी कहा कि इस कार्य के लिए संघ के कार्यक्रमों में कम से 50 प्रतिशत महिलाओं को शामिल करना होगा।
धर्मांतरण पर क्या बोले प्रमुख
इस दौरान उन्होंने आम्रपाली संस्थान में हुए परिवार प्रबोधन’ कार्यक्रम में भागवत ने शादी के लिए धर्मांतरण का चर्चित मसला भी उठाया। उन्होंने कहा, “जो हिंदू शादी के लिए धर्म बदल रहे हैं, वे बड़ी गलती कर रहे हैं। कैसे धर्मांतरण होता है? लड़के, लड़कियां दूसरे धर्मों में कैसे चले जाते हैं? छोटे-छोटे स्वार्थों के लिए। विवाह के लिए। धर्मांतरण कराने वाले गलत हैं, वह अलग बात है। लेकिन हमारे बच्चे क्या हम नहीं तैयार करते?’
पुरुषों से पूर्ण नहीं हो सकता कोई भी संगठन
भागवत ने कहा कि ‘कोई भी संगठन संपूर्ण रूप से सिर्फ पुरुषों का नहीं हो सकता है। लेकिन हम (संघ) जब भी कार्यक्रम आयोजित करते हैं तो उसमें सिर्फ पुरुष दिखाई देते हैं। जबकि देश में 50 फीसद आबादी महिलाओं की है। इसे बदलना होगा। हर कार्य में पूरा परिवार साथ रहता है। लिहाजा महिलाएं भी संघ की गतिविधियों में शामिल होकर समाज के उत्थान में योगदान दे सकती हैं।’
पिज्जा का क्यों किया जिक्र
भागवत ने कहा कि बच्चे में जन्म के बाद तीन साल के भीतर ही मूल गुणों का विकास हो जाता है। वह परिवार से ही सब सीखता है। इसलिए कितनी भी व्यस्तता हो, कम से कम सप्ताह में एक दिन परिवार को समय दें। उस दिन पूरा परिवार एक साथ भजन कीर्तन करे। कपड़े वही पहनें, जो भारतीय परंपरा के हैं। संघ प्रमुख ने यह भी कहा, ‘एक बार सिंगापुर जरूर जाओ, लेकिन अपनी काशी जाना कभी मत भूलो। कभी-कभार पिज्जा खा सकते हैं। लेकिन युगों से सिद्ध परंपरागत भोजन को कभी मत छोड़ो।’