Published on May 20, 2022 10:51 am by MaiBihar Media

कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू को रोडरेज मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। शीर्ष कोर्ट ने 34 साल पुराने इस मामले में फिर से सजा सुनाई। अपना चार साल पुराना फैसला बदलते हुए कोर्ट ने यह सजा दी है। गौरतलब हो कि 2018 के इस रोजरेज मामले में सिद्धू को एक हजार रुपए का जुर्माना लगाकर छोड़ दिया था। लेकिन कोर्ट ने फैसला को बदलते हुए कहा कि कोर्ट ने कहा, अपराध की गंभीरता और सजा के बीच उचित अनुपात जरूरी है। अपर्याप्त सजा समाज पर व्यापक प्रभाव डालती है। हालांकि अनुचित सहानुभूति के कारण अपर्याप्त सजा देना, न्याय प्रणाली को अधिक नुकसान पहुंचा सकता है। अगर अदालतें पीड़ितों की रक्षा नहीं करेंगी तो समाज अधिक समय सुरक्षित नहीं रह पाएगा।

क्यूरेटिव पिटीशन का रास्ता बचा
कोर्ट का फैसला आने के कुछ घंटे पहले पटियाला में महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान सिद्धू ने हाथी की सवारी की। फैसले के बाद वह गुरुवार को ही सरेंडर करने वाले थे। हालांकि वकीलों से चर्चा के बाद उन्होंने सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन फाइल करने का फैसला किया है। सिद्धू को पंजाब सरकार से 45 जवानों की सुरक्षा मिली है। सजा होने के बाद सुरक्षा वापस हो जाएगी। इस बीच, गुरनाम सिंह की बहू परवीन कौर और पोते सब्बी ने फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा, हमने सब ईश्वर पर छोड़ा था। उन्होंने जो किया, सही किया।

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मालूम हो कि इस रोजरेज मामले में पीड़ित पक्ष की याचिका पर जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ ने पुराना फैसला बदला है। बात दें कि 27 दिसंबर 1988 को सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर की पटियाला में कार पार्किंग को लेकर गुरनाम सिंह से कहासुनी हो गई थी। सिद्धू ने घूंसे से गुरनाम की मौत हो गई थी। 1999 में सेशन कोर्ट ने सिद्धू के खिलाफ केस खारिज कर दिया। हालांकि 1 दिसंबर 2006 को हाई कोर्ट ने सिद्धू और उनके दोस्त को दोषी माना। दोनों को 3-3 साल की सजा और एक लाख रुपए जुर्माना लगाया। सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई 2018 को इस फैसले को बदलते हुए 1 हजार रुपए जुर्माना लगाया।

सिद्धू द्वारा हथियार का प्रयोग न करने की दलील पर कोर्ट ने फैसले में कहा, फिजिकली फिट व्यक्ति का हाथ खुद हथियार हो सकता है। किसी मुक्केबाज, पहलवान, क्रिकेटर या शारीरिक रूप से फिट व्यक्ति हाथ हथियार से कम नहीं। पहले सजा देते वक्त यह तथ्य दरकिनार किया गया कि आरोपी इंटरनेशनल क्रिकेटर और शारीरिक रूप से ताकतवर था। उसने अपने से दोगुनी उम्र वाले गुरनाम सिंह (65) को घूंसा मारा था।

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