Published on March 26, 2022 10:35 am by MaiBihar Media

पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे लोगों के लिए एक और परेशानी वाली खबर सामने आ रही है। तेल, दाल और ईंधन के बाद अब देश में दवाएं भी महंगी होने जा रही हैं। जिससे लोगों की परेशानीयां काफी बढ़ जाएंगी। एनपीपीए ने मूल्य नियंत्रण के तहत आने वाली जरूरी या अनुसूचित दवाओं की कीमतों में अधिकतम 10.7% की बढ़ोतरी की शुक्रवार को अनुमति दे दी। इससे जरूरी दवाओं की राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम) के तहत 800 से अधिक दवाओं की कीमत अप्रैल से बढ़ जाएगी। इस सूची में परासिटामोल, बैक्टीरियल इन्फेक्शन के इलाज में इस्तेमाल होने वाली एजीथ्रोमाइसिन जैसी एंटीबायोटिक्स, एंटी-एनीमिया, विटामिन्स और मिनरल्स जैसी दवाएं आती हैं। कोविड-19 रोगियों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कुछ दवाएं और स्टेरॉयड भी सूची में शामिल हैं। मूल्य नियंत्रण के तहत आने वाली इन जरूरी दवाओं की कुल फार्मा बाजार में लगभग 16% हिस्सेदारी है। मालूम हो कि देश की फार्मा इंडस्ट्री जरूरी दवाओं की कीमतों में पर्याप्त वृद्धि की मांग कर रही थी क्योंकि यह उद्योग महामारी के बीच कच्चे माल की बढ़ती लागत से जूझ रहा है। इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के मुताबिक, बीते दो साल में कुछ प्रमुख एक्टिव फार्मास्युटिकल इन्ग्रीडीएंट्स (एपीआई) की कीमतों में 15% से 130% की बढ़ोतरी हुई है। इसमें पैरासिटामोल की कीमत 130% तक बढ़ चुकी है। इसी तरह, इक्सीपीएंट्स की कीमतें 18% से 262% के बीच बढ़ी हैं। ग्लिसरीन और प्रोपलीन ग्लाइकॉल, की कीमतें क्रमशः 263% और 83% तक बढ़ चुकी हैं। इनका उपयोग सिरप सहित सॉल्वेंट्स में इस्तेमाल होने वाले हर लिक्विड प्रिपरेशन, ओरल ड्रॉप्स और स्टेराइल प्रिपरेशंस में होता है।

close

Hello 👋
Sign up here to receive regular updates from MaiBihar.Com

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.