Published on December 30, 2021 3:02 pm by MaiBihar Media

25वें दिन को गुरु रिनपोछे अर्थात गुरू पद्मसंभव की आठ अभिव्यक्तियों के नृत्य के साथ तीन दिवसीय मास्क डांस समाप्त हो गया। भूटान के चंद्र कैलेंडर के 11वें माह के 23 से 25 वें दिन तक लामा गोंगडू की साधना के साथ बोधगया के भूटान के ड्रूक थुबटेन छोलिंग शांडूंग बौद्ध मठ में पवित्र मुखौटा डांस का आयोजन किया गया। गुरू दोरजे द्रोले रूप के मास्क पहनकर आशीर्वाद के लिए झांकी निकाली गई। इससे पहले सुबह तीन बजे लामा गोंगडू की साधना की गई। इस दौरान लामाओं ने परंपरागत ड्रम, डमरू व वज्रघंटा को मंत्रोच्चारण के साथ प्रतिध्वनित किया। जिससे चारों ओर का माहौल भक्तिमय हो उठा। साधना के बाद पवित्रता की गीत गाए गए। बाद में गुरू रिनपोछे के आठ अलग-अलग रूपों की झांकी निकाली गई। इसी के साथ तीन दिवसीय मुखौटा नृत्य संपन्न हो गया। भूटान की कुछ महिलाओं ने सुमधुर तरीके से भोट भाषा में गीत गाया। ईश्वर से खेती के बाद बेहतर फसल होने व घर में समृद्धि व रोग-क्लेश नष्ट हो, देवों की कृपा बनी रहे, ऐसी मांग की गई। इससे पहले मृतकों के पुण्य के लिए पूजा-पाठ का आयोजन किया गया तिब्बत सहित अन्य हिमालयी क्षेत्रों में नालंदा के पद्मसंभव को गुरू माना जाता है। आठवीं सदी में उन्हीं के द्वारा बौद्ध धर्म का प्रसार किया गया व बुरी आत्माओं की शांति के लिए तांत्रिक अनुष्ठान का उल्लेख है। उन्हें गुरू रिनपोछे भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है बहुमूल्य गुरू। निगमा बौद्ध परंपरा उन्हें दूसरा बुद्ध मानता है। वे एक तांत्रिक और योगाचार पंथ के सदस्य थे तथा नालंदा में पढ़ाते थे। 747 ई में वे तिब्बत गए थे। उनकी रचनाओं का संस्कृत से तिब्बती व भोट भाषा में अनुवाद किया गया है।

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