Published on October 25, 2021 9:44 pm by MaiBihar Media

उत्तरी अफ्रीकी देश सूडान में राजनीतिक और आर्थिक संकट गहराता जा रहा है। दरअसल, लोगों ने सेना से तख्तापलट की अपील की थी। इस बीच सूडान के प्रधानमंत्री अब्दुल्ला हमदोक को सुरक्षा बलों के एक दल ने हिरासत में ले लिया। इसकी जानकारी मंगलवार को सामाचार एजेंसी रॉयर्स ने दी है। रॉयर्टस के मुताबिक सुरक्षा बलों ने प्रधानमंत्री के साथ-साथ पांच वरिष्ठ अधिकारियों को भी हिरासत में लिया है। सभी को एक अज्ञात स्थान पर ले जाया गया है।

सूचना मंत्रालय ने दी यह जानकारी 

वहीं, लोकतंत्र समर्थक समूहों का कहना है कि सेना ने सुनोयिजत तरीके से इस तख़्तापलट को अंजाम दिया ताकि वो फिर से सत्ता में आ सके। रॉयर्टस के मुताबिक सुरक्षा बलों ने प्रधानमंत्री के साथ-साथ कुछ पांच वरिष्ठ अधिकारियों को भी हिरासत में लिया है। सभी को एक अज्ञात स्थान पर ले जाया गया है।

रॉयटर्स ने बताया है कि देश के सूचना मंत्रालय ने सशस्त्र बलों द्वारा प्रधानमंत्री को सोमवार को हिरासत लिए जाने की जानकारी दी है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, जब उन्होंने तख्तापलट का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया, तो सेना के एक बल ने प्रधानमंत्री अब्दुल्ला हमदोक को हिरासत में ले लिया और उन्हें एक अज्ञात स्थान पर ले गए।

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आम नागरिकों और सैन्य नेताओं के बीच बढ़ा तनाव 

सूडान के अधिकारियों ने कहा है कि सैन्य बलों ने सोमवार को कम से कम पांच वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को हिरासत में ले लिया, वहीं लोकतंत्र समर्थक देश के मुख्य दल सूडानीज प्रोफेशनल्स एसोसिएशन ने जनता से संभावित सैन्य तख्तापलट के विरोध में सड़क पर उतरने का आह्वान किया है। इस बीच सूडान के कई शहरों में इंटरनेट भी काम नहीं कर रहे हैं।

 संभावित सैन्य तख्तापलट सूडान के लिए बड़ा झटका होगा, जो व्यापक विरोध प्रदर्शनों के कारण के कारण, लंबे समय तक शासक रहे पूर्व तानाशाह उमर अल-बशीर के सत्ता से हटने के बाद से लोकतंत्रिक की बाट जोह रहा है। यह गिरफ्तारी ऐसे वक्त हुई है। जब दो सप्ताह पहले ही सूडान के आम नागरिकों और सैन्य नेताओं के बीच तनाव बढ़ गया था।  

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राष्ट्रपति को दो साल पहले सत्ता से किया गया है बेदखल 

सूड़ान में इससे पहले सितंबर में तख्तापलट की नाकाम कोशिश हुई थी। साजिशकर्ताओं के नाम का खुलासा अभी नहीं हुआ है। समाचार एजेंसी एएफपी से बात करते हुए एक शीर्ष सरकारी सूत्र ने बताया कि साजिशकर्ताओं ने सरकारी मीडिया की इमारत पर कब्जा करने की भी कोशिश की, जो विफल हो गई। देश में सबसे लंबे समय तक सत्ता में रहे राष्ट्रपति ओमर अल-बशीर को दो साल पहले साल 2019 में सत्ता से हटा दिया गया था। इसके बाद सत्ता को बाांटने के लिए अग्रीमेंट साइन किया गया। इसमें एक ऐसी सरकार बनाने पर सहमति बनी, जिसमें सेना नागरिक प्रतिनिधि और विरोध प्रदर्शन करने वाले समूह शामिल हों। हालांकि देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमराई हुई है। इस सरकार पर आर्थिक और राजनीतिक सुधार करने का दबाव है।

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