पंजाब कांग्रेस का सियासी भूचाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। प्रदेश का मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के कमान संभालने और केबिनेट की गठन के बाद प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने पद से इस्तीफा दे दिया। सोशल मीडिया पर उन्होंने इसकी घोषणा की। उनके इस्तीफे के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर चुटकी भी ली है। उन्होंने साफ कहा है कि मैंने पहले ही कहा था कि वे स्थित आदमी नहीं है। फिलहाल अमरिंदर इनदिनों नई दिल्ली यात्रा पर जाने वाले हैं।
इन तामात कारणों से सिद्धू ने दिया इस्तिफा– मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सिद्धू की सबसे बड़ी नाराजगी तो यही कि सिद्धू मुख्यमंत्री बनना चाहते थे। लेकिन पार्टी ने बीच का रास्ता निकाला। समझौता हुआ कि अमरिंदर के हटने के बाद इस समय मुख्यमंत्री कोई भी बने, अगला चुनाव सिद्धू के नेतृत्व में हो। इसका बाकायदा ऐलान किया जाएगा। लेकिन उसी दिन पार्टी ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हरीश रावत के बयान को खारिज कर दिया। इससे सिद्धू का पारा उबल गया। उधर राहुल गांधी के साथ मंत्रियों के विभागों के बंटवारे को लेकर देर रात तक चली बैठक में सिद्धू या उनका कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं था। वे गृह मंत्री का पद अपने समर्थक के लिए चाहते थे। यह बात नहीं मानी गई।
इसके अतिरिक्त सिद्धू इस पद पर ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति के खिलाफ थे, जिसने 2015 के गुरुग्रंथ साहिब बेअदबी के मामले में आरोपियों का बचाव किया। लिहाजा, उन्हें एडवोकेट जनरल नियुक्ति पर भी दिक्कत थी। साथ ही विभागों का आवंटन, अधिकारियों के ट्रांसफर और नियुक्ति के अधिकार सिद्धू अपने हाथ में चाहते थे। इसके अलावा अमृतसर सुधार ट्रस्ट का पत्र सिद्धू सौंपना चाहते थे, जबकि इसे मुख्यमंत्री ने सौंपा। पार्टी संगठन और सरकार के बीच में समन्वय के लिए एक कमेटी का गठन भी चाहते थे, जिसे माना नहीं गया।
नराज सिद्धू ने दर्द को किया बयां- कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे इस्तीफे में लिखा, ‘किसी भी व्यक्ति के चरित्र में गिरावट समझौते से शुरू होती है। मैं पंजाब के भविष्य और पंजाब के कल्याण के एजेंडे से कभी समझौता नहीं कर सकता हूं। इसलिए पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देता हूं। कांग्रेस की सेवा करना जारी रखूंगा।’ बता दें कि सिद्धू को इसी साल 18 जुलाई को पंजाब कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया था। इसके बाद, 18 सितंबर को कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। दोनों नेताओं के बीच काफी वक्त से विवाद चल रहा था।
अमरिंदर ने दी यह प्रतिक्रिया- वहीं, दिल्ली पहंचे अमरिंदर सिंह ने सिद्धू के इस्तीफे पर कहा, ‘मैं पहले कह चुका हूं कि सिद्धू स्थिर व्यक्ति नहीं हैं। वे सीमावर्ती राज्य पंजाब के लिए उपयुक्त नहीं हैं। वह लंबे समय तक नहीं बने रह सकते। यही हो रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘पंजाब के घटनाक्रम पर मेरी पूरी नजर है। मैं जल्द ही बड़ा फैसला लूंगा।’
राज्य में अगले साल होने वाले चुनाव से पहले सिद्धू का इस्तीफा कांग्रेस पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। सिद्धू के इस्तीफे के बाद शाम को उनकी करीबी मंत्री रजिया सुल्ताना ने भी त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष पद से गुलजार इंदर चहल और पंजाब कांग्रेस महासचिव योगिंदर ढींगरा ने इस्तीफा दिया। चहल ने 21 सितंबर को कोषाध्यक्ष पद संभाला था। जबकि रजिया ने 26 सितंबर को मंत्री पद की शपथ ली थी। सिद्धू की पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के वक्त पार्टी में अंदरखाने काफी विरोध हुआ था। लेकिन प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी ने तमाम विरोधों के बावजूद सिद्धू को इस पद पर बैठाया था।