सुहागिनों का महापर्व हरतालिका तीज इसबार नौ सितंबर को है। पंचांगों के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का प्रारंभ आठ सितंबर की देर रात से ही हो रहा है। नौ सितंबर की मध्य रात्रि तक तृतीया तिथि है। इस कारण सुहागिनों को पूजा-पाठ करने में कोई अड़चन नहीं है। इसलिए इस बार महिलाएं किसी भी समय शिव व माता पार्वती की पूजा अर्चना कर सकती है।
वैसे शुभ मुहूर्त की बात करे तो शाम 06:03 से लेकर रात्रि 08:33 बजे तक पूजा के लिए शुभ मुर्हूत है। सुहागिन महिलाओं के लिए हरितालिका तीज व्रत का एक महत्वपूर्ण स्थान है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव व माता पार्वती की मिट्टी व रेत द्वारा बनाई गई अस्थायी मूर्तियों को पूजती है। सुखी वैवाहिक जीवन व संतान की प्राप्ति की प्रार्थना करती है। आचार्य ने बताया कि सर्वप्रथम इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। इससे यह बात सिद्ध होती है कि अविवाहित युवतियां भी अच्छे वर के लिए तीज व्रत कर सकती हैं।
कैसे करें पूजा
हरितालिका तीज व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं केले के पत्तों से मंडप बनाकर शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित करे। माता पार्वती को सुहाग का सामान चढ़ाए। रात में भजन, कीर्तन करते हुए आरती करे, साथ ही शिव पार्वती विवाह की कथा सुने। पूजा अर्चना के बाद बॉस के पात्र में पकवान, सौभाग्य की सामग्री ब्राह्मणों के बीच दान करे।
तीज व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस बार तृतीया तिथि का आरंभ आठ सितंबर बुधवार की देर रात्रि 03:59 से हो रहा है, जो नौ सितंबर गुरुवार की देर रात्रि 02:33 तक रहेगा। उन्होंने बताया कि 14 वर्ष बाद इस बार तीज व्रत में रवि योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। दुर्लभ संयोग शाम 05:11 बजे से शुरू हो रहा है। पूजन का शुभ मुर्हूत शाम 06:03 से रात्रि 08:33 बजे तक है।
आठ को नहाय-खाय के साथ शुरू होगा पर्व
आठ सितंबर को नहाय-खाय के साथ सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि के लिए महापर्व तीज शुरू करेगी। इस दिन विशेष स्नान व पूजा अर्चना के बाद घर पर तरह-तरह के पकवान बना भगवान को भोग लगा स्वयं प्रसाद के रूप में ग्रहण करेगी। नौ सितंबर को निर्जला उपवास का व्रत रखेगी और 10 को प्रारण कर तीन दिवसीय पर्व का समापन करेगी। इस दिन भी महिलाएं कई तरह के पकवान बनाती है।