Published on August 31, 2021 3:05 pm by MaiBihar Media
बिहार में जमीन विवाद के मामलों को खत्म करने के लिए राज्य सरकार ने नई रणनीति बनाई है। बताया जा रहा है कि सूबे में जमीन विवाद के मामलों को निबटाने के लिए 10 भागों में बांट कर सूची बनायी जाएगी। संवेदनशीलता को देखते हुए उसकी मॉनिटरिंग भी किया जाएगा। इस बाबत आज गृह विभाग, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग और बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन की संयुक्त बैठक में निर्णय लिया गया है। भूमि विवाद मामलों की सूची बनायी जाये। मामलों को देखते हुए न्यायालय स्तर के आदेशों का अनुपालन के साथ अंचल और थाना स्तर पर ही सुलझाने की पूरी कोशिश होगी। बैठक में यह भी तय हुआ कि ऐसे जमीन विवाद के मामले दस आधारों पर बांटे जाएंगे। जिसकी विस्तृत जानकारी भी दी गई है।
मामलों का बंटवारा का आधार इस मानक पर होगा तैयार
गौरतलब हो कि विवादास्पद जमीन को सूची तैयार करने के लिए विभिन्न मानकों को मानकर तैयार किया जाएगा। जिसमें सरकारी भूमि पर कब्जा का विवाद, सरकारी भूमि का अतिक्रमण, बंदोबस्त भूमि से बेदखली के मामले, न्यायालय में लंबित मामले और उनके आदेश के अनुपालन में हुए विवाद, राजस्व कोर्ट में लंबित मामले और उनके आदेश के अनुपालन में हुए विवाद, सिविल कोर्ट में लंबित मामले और उनके आदेश के अनुपालन में हुए विवाद, लोक शिकायत निवारण प्राधिकार द्वारा पारित आदेश के अनुपालन में हुए विवाद, सरकारी और रैयती दोनों तरह की जमीन की नापी और सीमांकन के समय हुए विवाद, पारिवारिक जमीन बंटवारा में हुए विवाद, निजी रास्ता का विवाद और अन्य मामलों का आधार होगा।
मिली जानकारी के मुताबिक बैठक में निर्णय लिया गया कि भूमि विवाद के मामलों का सूची बनाया जाएगा। मामलों की गंभीरता को देखते हुए यूनिक कोड दी जाएगी। जिसमें जमीन विवाद स्थल, उनकी संवेदनशीलता की स्थिति और विवाद का पूरा इतिहास रहेगा। उन जमीन विवाद मामलों के मॉनिटरिंग के लिए गृह विभाग साफ्टेवेयर बनाएगा और उसका संचालन भी करेगा।
साथ ही बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि थाना और अंचल स्तर के जमीन विवाद मामलों की विधि व्यवस्था और जान माल के संभावित नुकसान की संवेदनशीलता को देखते हुए प्राथमिकता बनायी जाएगी। थाना प्रभारी और सीओ अपने ऊपर के पदाधिकारी एसडीपीओ और एसडीओ को ऐसे मामलों से अवगत कराएंगे। वहीं, एसडीपीओ और एसडीओ पूरे मामले की समीक्षा कर एसपी और डीएम को बताएंगे।
इतना ही नहीं गृह विभाग द्वारा बनाये गये साफ्टवेयर के माध्यम से आयुक्त और आईजी सभी स्तर पर जमीन विवाद मामलों की मॉनिटरिंग, ट्रैकिंग और समीक्षा करेंगे। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग भी समीक्षा कर अपनी रिपोर्ट गृह विभाग को देगा। मामलों के अनुसार समाधान की अल्पकालीन और दीर्घकालीन रणनीति बनेगी। जरुरत पड़ने पर सीआरपीसी और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी।