Published on August 22, 2021 9:06 pm by MaiBihar Media
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद से अब तक हर तरफ खौफ पसरा है। रविवार को काबुल, दोहा और दुशान्बे से तीन विमानों में 329 भारतीयों समेत करीब 400 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया। इन लोगों में से कुछ ने जैसे ही भारतीय सरजमीं पर कदम रखा, फफक कर रोने लगे। रुंधे हुए गले से खौफ के पल भी बयां किए। ज्यादातर यात्रियों का कहना है कि वे शायद ही कभी काबुल लौटें। अफगानिस्तान में लोग दहशत और अराजकता में जी रहे हैं। काबुल एयरपोर्ट की तस्वीरें किसी से छिपी नहीं हैं, लोग दूसरे मुल्क जाकर जान-आबरू बचाने के लिए जुझ रहे हैं। एक तरीके से एयरपोर्ट पर अफरा-तफरी और भगदड़ मची हुई है। उधर, एयरपोर्ट से तमाम मुल्क अपने नागरिकों-अफगानियों को विमानों से एयरलिफ्ट कर रहे हैं।
गौरतलब हो कि काबुल से 168 यात्रियों को लेकर वायु सेना का विमान सी-17 ग्लोबमास्टर गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर पहुंचा। इसमें 107 भारतीय और 23 अफगान सिख और हिंदू हैं। काबुल से लौटे इन168 यात्रियों में शामिल दो अफगान सांसद- सीनेटर अनारकली और नरेंद्र सिंह खालसा भी भारत पहुंचे। नरेंदर सिंह खालसा से जब अफगानिस्तान का जिक्र किया, तो उनकी आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने कहा, “हमने 20 साल में वहां जो भी बनाया, सब खत्म हो गया। हम लोग आठ दिनों से खुद को गुरुद्वारे में कैद किए हुए थे। तालिबान लड़ाके वहां लोगों को ढूंढ़-ढूंढ़कर तलाशी ले रहे हैं। एयरपोर्ट पर जब लोग इंतजार कर रहे थे, तो तालिबान लड़ाके लोगों को उठाकर ले गए थे। हालांकि, बाद में छोड़ दिया। वतन छोड़ने का फैसला लेना बेहद कठिन था। एयरपोर्ट के गेट पर भी हालात बेहद बदतर हैं।
एक दूसरे सिख हिंदू ने बताया कि भारतीयों, अमेरिकी नागरिकों के अलावा 5000 से 6000 लोगों की हर गेट पर भीड़ है। हमने ऐसे हालात के बारे में कभी सोचा तक नहीं था। भारत हमारा दूसरा घर है। हमारा सबकुछ छिन गया। बीते सात दिन बेहद बुरे गुजरे हैं। तालिबानी हमें कहते रहे कि अफगान आपका मुल्क है, हम आपकी रक्षा करेंगे। चूंकि तालिबान के कई गुट हैं। ऐसे में उसकी बातों पर यकीन करना मुश्किल था। इसलिए हमने वतन छोड़ने का बेहद कठिन फैसला लिया।
तालिबानी लड़ाकों की क्रूरता इतना ही काफी नहीं है। इसके अलावे एक मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि एक अफगानी महिला ने आपबिती बताई है, ‘अफगानिस्तान में हालात बिगड़ते जा रहे थे। इसलिए मैं अपनी बेटी और दो पोतों के साथ भारत आई हूँ। हमारे भारतीय भाई-बहन हमें बचाने के लिए आगे आए। तालिबान ने मेरा घर जला दिया था। हमारी मदद करने के लिए मैं भारत सरकार का शुक्रिया करती हूं। वहीं, बीवी-बच्चे के साथ भारत आए एक अफगान युवक ने कहा, ‘हमारे जैसे हजारों लोग बस किसी तरह अफगानिस्तान से बाहर निकलना चाहते हैं। उन्हें तालिबान पर भरोसा नहीं है। तालिबान के भरोसे के बावजूद वो अपना भविष्य अफगानिस्तान में नहीं देखते।’ भारत में रोजी-रोटी के सवाल पर युवक ने कहा, ‘यहां से हमारे पुराने रिश्ते रहे हैं। इंशाअल्लाह हम खुद को और परिवार को चला लेंगे।’