Published on August 12, 2021 10:01 pm by MaiBihar Media
बिहार के कई इलाकों में बाढ़ का खतरा गहराता जा रहा है। गंगा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। वहीं, सरयू और दाहा नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि से निचले इलाकों में पानी प्रवेश कर रहा है। जानकारी के मुताबिक गुठनी, दरौली, रघुनाथपुर व सिसवन के कई घाट डूब गए हैं। श्मशान घाट तक पानी पहुंच गया है। कई गांव भी बाढ़ के पानी से घिर गए हैं। बाढ़ की आशंका से लोग भयभीत हैं। लोगों का कहना है कि यदि राहत कार्य शुरू नहीं किया गया तो परेशानी होगी।
केंद्रीय जल आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक सरयू नदी का जलस्तर गुरुवार की दोपहर 12:00 बजे दरौली में 60.48 मीटर तथा गंगपुर सिसवन में 56.98 मीटर रिकॉर्ड किया गया। दोनों जगह सरयू खतरे के निशान के करीब बह रही है। गंगपुर सिसवन में नदी का जलस्तर खतरे के निशान से महज 6 सेंटीमीटर दूर है। पिछले 24 घंटे के दौरान गंगपुर सिसवन में नदी का जलस्तर 8 सेमी बढ़ा है। नदी में जलस्तर के बढ़ाव की गति यही रही तो अगले 24 घंटों के दौरान यहां नदी खतरे के निशान को पार कर जाएगी। दरौली में पिछले 24 घंटों के दौरान सरयू नदी का जलस्तर महज 2 सेंटीमीटर ही बढ़ा है। नदी खतरे के निशान से 34 सेमी नीचे बह रही है। मांझी में नदी का जलस्तर गुरुवार की दोपहर 12:00 बजे 55.95 मीटर रिकॉर्ड किया गया। बाढ़ नियंत्रण विभाग से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि जलस्तर में वृद्धि की मॉनिटरिंग की जा रही है और मुख्यालय को भी अपडेट जानकारी दी जा रही है।
स्लूइस गेट से पानी का हो रहा रिसाव
वहीं, खबर यह भी मिली है कि रामगढ़ व पिपरा गांव के बीच दाहा नदी पर बने स्लूइस गेट से सैलाब के पानी का रिसाव हो रहा है। यह पानी तेजी से खेतो के तरफ बढ़ रहा है। डेढ़ महीने पूर्व भी इस सलुइस गेट से एक सप्ताह तक पानी रिसाव हुआ था, जिससे लग भग तीन सौ बीघे की खेती नष्ट हो गई बावजूद सिंचाई व बाढ़ नियंत्रण विभाग ने सलुइस गेट की मरम्मत नहीं कराई। दूसरे तरफ बाबा महेंद्र नाथ के कामलदाह सरोवर से भी पानी का रिसाव हो रहा है, जो खेतो में भर रहा है। ऐसे में किसान भगवान भरोसे अपने सीने पर हाथ रखे हुए है। तीन सालों तो फसल बर्बाद हो ही रही है कही इस साल भी बर्बाद न हो जाये। किसानों का कहना है कि गत कई सालों से सरकारी फसल मुआवजा के नाम पर बंदरबांट हो रही है। यह वास्तविक किसान को न देकर किसान सलाहकार व बिचौलिये खा जाते है। बहरहील बात अगर ऐतिहासिक महेन्द्रनाथ मन्दिर स्थित बाढ़ क्षेत्र की करे तो मंदिर के उत्तर 550 बीघे में कमलदाह सरोवर विस्तृत है। हर साल बरसात में यह पानी से लबालब हो जाता है। चूंकि इस पोखरे का जलग्रहण क्षेत्र दारौंदा व सारण के एकमा प्रखंड के दर्जनभर गांवों तक है, जिससे इसमें क्षमता से बहुत अधिक पानी आ जाता है। यह पानी वंहा बने सलुइस गेट से निकल पइन से होकर दाहा नदी में गिरता है। इन दिनों पइन का बांध जर्जर हो गया जिससे पानी जंहा तहां फैल सैलाब के रूप में तब्दील हो जाता है।
आपको बता दें कि सिसवन प्रखंड के रामगढ़ गांव के समीप दाहा नदी पर स्थित एक सलुइस गेट की मरम्मति में उदासीनता पांच गांवों के लोगों के समक्ष मुसीबत बन गई है। इसके चलते लोगों की खेती बारी प्रभावित है।यंहा पिछले तीन वर्षों में सैलाब के पानी ने डेढ़ हजार हेक्टेयर क्षेत्र के खरीफ की फसल को बर्बाद किया है। समस्या के समाधान के लिये स्थानीय लोगों ने जनप्रतिनिधयों से गुहार लगाई लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। विगत तीन वर्षों से दाहा नदी में पानी बढ़ने के साथ ही इस सलुइस गेट से पानी का रिसाव होने लगता है व यह पिपरा,जानी छपरा,रामगढ़, महमदपुर गांवों के चंवर में फैल जाता है जिससे यंहा डेढ़ हजार हेक्टेयर में लगी खरीफ की फसल बर्बाद हो जाती है।नतीजतन लोग खरीफ की खेती करना छोड़ आंदोलन का मूड बना रहा है। बाढ़ के विभिषिका को लेकर स्थानीय लोगों ने कहा कि उनकी नियति ही बन गई है कि वे प्रत्येक साल बाढ़ की विभीषिका झेलें। सबसे अधिक परेशानी तो किसानों को है। किसानों का कहना है कि बाढ़ के कारण उनकी आर्थिक स्थिति चरमरा जाती है। मवेशियों के लिए चारे की भी व्यवस्था नहीं होती है। लेकिन इसको लेकर सरकार के तरफ से कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। स्थानिय लोगों का कहना है कि पशुओं को लेकर भी चिंताएं बढ़ गई है। पइन के बांधों व दोनों सलुइस गेट की तत्काल मरम्मति की मांग की है ताकि खरीफ फसल को सैलाब से बचाया जा सके। ग्रामीणों ने एक्शन न लेने पर आंदोलन करने की बात कही है।