Published on August 24, 2021 4:13 pm by MaiBihar Media

अब वह दिन दूर नहीं, जब उत्तर प्रदेश देश में मेडिकल हब के रूप में जाना जाएगा। इससे बिहार और नेपाल के रोगियों को भी इलाज में सहूलियत मिलेगी। साथ ही प्रदेशवासियों को इलाज के लिए एक जिले से दूसरे जिले भटकने से मुक्ति मिलेगी। ऐसा इसलिए हो पाया है कि 25 करोड़ की आबादी वाले प्रदेश में आजादी के बाद पहली बार चिकित्सा सुविधाओं में आमूलचूल परिवर्तन हो रहा है। सीएम योगी की वन डिस्‍ट्रिक्‍ट, वन मेडिकल कॉलेज’ नीति के तहत हर जिले में मेडिकल कॉलेज बनाया जा रहा है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर बनाने की मुहिम से प्रदेश ने ऊंची उड़ान भरी है। इससे राजधानी लखनऊ पर प्रदेश के अन्य जिलों से आने वाले रोगियों का भार कम होगा और जिले स्तर पर उपचार की सुविधाओं में बढ़ोतरी होने से लोगों को इलाज के लिए एक जिले से दूसरे जिले में जाने से भी राहत मिलेगी। कोरोना की पहली, दूसरी और संभावित तीसरी लहर को देखते हुए भी चिकित्सा सुविधाओं में युद्ध स्तर पर इजाफा किया जा रहा है।

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17 से अब 33 हुए मेडिकल कॉलेज

आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े प्रदेश में वर्ष 2017 के पहले मात्र 17 मेडिकल कॉलेज, संस्थान और विश्वविद्यालय थे, लेकिन पिछले साढ़े चार सालों में अब यह बढ़कर 33 हो गए हैं। नौ जिलों देवरिया, एटा, फतेहपुर, गाजीपुर, हरदोई, जौनपुर, मिर्जापुर, प्रतापगढ़, सिद्धार्थनगर में 2334 करोड़ की लागत से मेडिकल कॉलेज बनकर तैयार हो गए हैं और अब 30 जुलाई को इनका लोकार्पण होना है।

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