Published on April 1, 2022 10:07 am by MaiBihar Media

अंग्रेजों ने भारत में एक कानून लागू किया था जिसका नाम था अफस्पा। यह कानून 1942 में भारत छोड़ों आंदोलन को कुचलने के लिए लागू किया था। जिसमें भारत के लोगों को बिना कुछ कहे- पूछे अंग्रेजों की सेना उठा लेती थी और जेल में बंद कर देती थी। यह कानून आजाद भारत में अब भी कई प्रदेशों में लागू है। जिसे लेकर हमेशा आंदोलन होते आए है। इसी बीच एजेंसी की खबरों के अनुसार केंद्र सरकार ने नगालैंड, असम और मणिपुर में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफस्पा) के तहत अशांत क्षेत्रों को कम करने का फैसला किया है। यह नए वित्त वर्ष यानी शुक्रवार से यह लागू होगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने दशकों बाद नगालैंड, असम और मणिपुर राज्यों में अफस्पा के तहत अशांत क्षेत्रों को कम करने का फैसला किया है।’
शाह ने सोशल मीडिया पर लिखा, “दशकों से उपेक्षित पूर्वोत्तर शांति, समृद्धि और विकास का गवाह बन रहा है। मैं इस अहम अवसर पर पूर्वोत्तर के लोगों को बधाई देता हूं।’ गौरतलब है कि दिसंबर 2021 में गलत पहचान के कारण सुरक्षाबलों की कार्रवाई में 14 नागरिक मारे गए थे। इसके बाद केंद्र ने नगालैंड से अफस्पा हटाने की संभावना की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। पूर्वोत्तर में उग्रवाद देखते हुए 1958 में अफस्पा बना। इसमें सुरक्षाबलों को बिना वारंट किसी को गिरफ्तार करने की छूट है। इसके विरोध में पूर्वोत्तर में लंबा आंदोलन चला। मणिपुर की इरोम शर्मिला ने 16 साल तक आमरण अनशन किया।

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