Published on December 6, 2021 8:27 pm by MaiBihar Media
प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, सोनिया, राहुल, कैटरीना व प्रियांका चोपड़ा को बिहार में कोरोनारोधी टीका पड़ा है। यह पढ़कर आप हैरान हो गए होंगे लेकिन इसके पीछे क्या सच्चाई है। यह जानना बेहद जरूरी है। वास्तव में सरकारी सिस्टम में दुस्साहस भरे फर्जीवाड़े की पराकाष्ठा का ऐसा मामला सामने आया है। खबर अरवल जिले की है। जहां अरवल जिले के सरकारी रिकार्ड में पीएम मोदी करपी के दोर्रा व पुरान गांव के निवासी हैं तो अमित शाह का भी पुरान में ही आवास बताया गया है जबकि सोनियां गांधी व राहुल गांधी को जोन्हा गांव के निवासी बताए गए हैं।
सनसनीखेज मामले का खुलासा विभाग ने ही किया
इतना ही नहीं बड़े नेताओं के अलावा प्रियंका चोपड़ा, कैटरिना कैफ व एश्वर्या राय को भी प्रखंड के विभिन्न गावों का निवासी बनाते हुए सरकारी रिकार्ड में उन्हें करपी के सामुदायिक केन्द्र में वैक्सीनेटेड होने की बात सामने आई है। जबकि रिकार्ड में गत 27 अक्टूबर को ही उक्त दिग्गज हस्तियों को यहां वैक्सीनेट किए जाने का रिकार्ड दर्ज किया गया है लेकिन मामला अब निकलकर सामने आया है। ऐसा नहीं कि इस मामले को किसी बाहरी ने उजागर किया है बल्कि यह सनसनीखेज मामले का खुलासा विभाग के अंदर आपसी क्लैस ऑफ इंटरेस्ट में उभरकर सामने आया है।
बिहार में अरवल ने वैक्सीनेशन के नाम पर बेहतर स्थान किया है प्राप्त
दरअसल यह पूरा मामला अरवल जिले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र करपी से जुड़ा है, जहां इस खुलासे के बाद करोना के सैंपल जांच के नाम पर व्यापक रूप से फर्जीवाड़े की आंशका व्यक्त की जा रही है। हालांकि राज्यस्तर पर कोरोना के जांच और वैक्सीनेशन के नाम पर इस जिले ने बेहतर स्थान प्राप्त किया है लेकिन इस सनसनीखेज फर्जीवाड़े के सामने आने के बाद वैक्सीनेशन की पूरी सूची की प्रमाणीकता ही सवालों के घेरे में आ गई है। इलाके के लोगों का कहना है कि करपी में मिले रैपिड एंटीजन टेस्ट किट, आरटीपीसीआर जांच के नाम पर सैकड़ों लोगों का नाम फर्जी तरीके से डाल दी गई, जिनके नाम और मोबाइल नंबर की कायदे से जांच करने के बाद सूची में व्यापक पैमाने पर फर्जीवाड़ा उजागर हो सकता है।
क्या बोले जिलाधिकारी
अरवल जिलाधिकारी जे.प्रियदर्शनी ने कहा है कि यह एक बेहद गंभीर मामला है। पूरे मामले की जांच कराई जाएगी। जांच के बाद जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस मामले के सामने आने के बाद जिले भर के वैक्सीनेशन की सूची की फिर से जांच कराई जाएगी।
आउट सोर्सिंग एजेंसी के द्वारा नियुक्त डाटा इंट्री कर्मियों द्वारा जानबुझकर की गई गड़बड़ी?
बिहार सरकार व स्वास्थ्य विभाग के द्वारा कोरोना के जांच व वैक्सीनेशन के लिए अधिकृत उर्मिला इंटरनेशनल सर्विसेज नामक एक एजेंसी के द्वारा नियुक्त डाटा इंट्री कर्मियों ने मूल व असली सूची से डाटा में जानबूझकर छेड़छाड़ कर पूरे विवाद को पैदा किया है। चिकित्सा पदाधिकारी ने अपनी सफाई में उल्लेख किया है कि उन्हें उक्त कर्मियों की हरकत पर पहले ही शक हुआ था तो खुद उन्होने सूची की जांच की थी। जांच में पता चला था कि डाटा ऑपरेटर विनय कुमार व प्रवीण कुमार ने उनके हस्ताक्षर को गलत तरीके से स्कैन कर उनकी आईडी का भी गलत तरीके से इस्तेमाल कर इस तरह की हरकत की थी। उन्हें हटाने के लिए उन्होने संबंधित एजेंसी को गत दस अक्टूबर को पत्र भी लिखा था जिस पर संबंधित एजेंसी ने कर्मियों की गलती को स्वीकार करते हुए सिविल सर्जन को 26 नवंबर को पत्र लिखकर उन्हें माफ करने का अनुरोध किया था। जिस तरह से चिकित्सा पदाधिकारी ने सफाई दी है, उससे तो यह स्पष्ट है कि मामल उनके संज्ञान में था फिर भी उन्होने दोषी कर्मियों पर जरूरी कानूनी कार्रवाई नहीं कर पूरे मामले को दबाए रखा। अब जबकि मामला बाहर आ गया है तो जिम्मेदार अधिकारी अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहे हैं