केंद्र सरकार की ओर से लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का धरना-प्रदर्शन बीते करीब 10 माह से जारी है। किसानों के प्रदर्शन को 27 सितंबर यानी सोमवार को पूरे-जोर से आंदोलन किया। इस आंदोलन को भाजपा ने भारत बंद को विफल बताया है। प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने कहा कि पिछले 30 वर्षों में किसी बंदी का ऐसा हश्र नहीं हुआ जैसा आज किसान संगठनों के समर्थन में विपक्षी दलों द्वारा आयोजित बंद का हुआ है।

किसानों के नाम पर हुए इस बंद को आम जनता के साथ-साथ देश भर के किसानों ने भी नकार दिया है। जनता जान चुकी है कि किसानों के नाम पर किया जा रहा यह सारा उत्पात कुछ राजनीतिक दलों का पॉलिटिकल स्टंट है। लोग समझ चुके हैं कि यह अनाज उगाने वाले किसानों की बंदी नहीं बल्कि किसानों के भेष में वोटों की फसल उगाने की कोशिश कर रहे विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं का जमावड़ा है।

आज की बंदी में अधिकांश जगहों पर जन जीवन पूरी तरह सामान्य रहा। बंदी की सबसे हास्यास्पद बात यह रही कि बंदी करवाने वाले 90 प्रतिशत से अधिक लोगों को यह पता ही नहीं था कि बंदी किस लिए है। बता दें कि बिहार में भी किसानों के आंदोलन का राजद समेत विपक्षी दलों द्वारा समर्थन किया गया था।

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