Published on September 3, 2021 12:36 pm by MaiBihar Media
भाजपा (BJP) के प्रदेश अध्यक्ष सह पश्चिमी चंपारण के सांसद डॉ. संजय जायसवाल (Dr. Sanjay Jaiswal) एक दुर्लभ बीमारी से ग्रसित हो गए हैं। जो लाखों लोगों में किसी एक को होती है और उस बीमारी का नाम है स्टीवंस जॉनसन सिंड्रोम है। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर खुद अपने खिलाफ काम करने लगता है। शरीर के बाहरी हिस्से के साथ ही आंख, नाक, कान, गला सूजने लगता है और फटने लगता है। इस बीमारी में शरीर के भीतर आंत में भी सूजन होती है और वह गलने लगती है। इसकी जानकारी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने खुद सोशल मीडिया पर दी है। साथ ही कहा है कि वे फिलहाल किसी से मिल नहीं सकते हैं। बता दें कि संजय जायसवाल 2019 में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने। वे पश्चिम पश्चिमी चंपारण (बेतिया) (Bettiah) से सांसद है और पेशे से खुद भी डॉक्टर हैं।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने सोशल मीडिया पर लिखा है, ” ईश्वर के आशीर्वाद और आप सभी की शुभकामनाओं के कारण मैं बिल्कुल ठीक हूंँ। वैसे तो स्टीवन जॉनसन सिंड्रोम बहुत ही खतरनाक बीमारी है और मुझे यह यूरिक एसिड कि एक दवा जो मैं विगत 15 दिनों से खा रहा था उसके कारण हुआ। पर यह दवा लाखों लोगों के लेने के बावजूद पूरे देश में मुश्किल से 50 से 100 लोगों को ही होता है। इसलिए कोई सोच भी नहीं सका।
पहले लगातार 104 बुखार, फिर लगा कि खसरा है पर मैं पटना एम्स आकर भर्ती हो गया और जैसे ही स्टीवन जॉनसन सिंड्रोम के तीसरे चरण के लक्षण आने शुरू हुए तुरंत चिकित्सकों को ऐहसास हो गया और सही समय पर इलाज हो गया। अभी भी मेरे चमड़े में ग्रेड वन बर्न है इसलिए किसी से मिलने पर मुझे दिक्कत हो सकती है क्योंकि मैं अभी कोई दवा नहीं खा सकता। इसलिए 10 तारीख के बाद ही आप सभी से मुलाकात होगी। ईश्वर की कृपा आप सभी पर बनी रहे इसी शुभकामना के साथ सभी को धन्यवाद “
क्या है स्टीवंस जॉनसन सिंड्रोम
तेज बुखार, गले में खरास, आंखों में जलन, तेज थकान, सर्दी और खांसी होना स्टीवंस जॉनसन सिंड्रोम का लक्ष्ण है। आपको बता दें कि स्टीवंस जॉनसन सिंड्रोम बहुत गंभीर और दुर्लभ बीमारी है। यह एक तरह का संक्रमण है, जिसमें ऐसा लगता है मानों किसी ने शरीर को जला दिया हो। यह बीमारी बड़ी तेजी से फैलती है। इस गंभीर बीमारी की खोज करने वाले दो डॉक्टर स्टीवंस और जॉनसन थे, जिनके नाम पर इस बीमारी का भी नामकरण किया गया है। यह बीमारी बुखार के साथ सामने आती है और फिर त्वचा, श्लेष्म झिल्ली, जननांगों और आंखों को प्रभावित करती है। इसके घाव शरीर में कहीं भी हो सकते हैं। यह बीमारी 10 लाख लोगों में से 2 से 6 लोगों को होती है।