Published on August 18, 2021 10:13 pm by MaiBihar Media
तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद वैश्विक मान्यता पाने के लिए सियासी पकड़ बनाने की जुगाड़ शुरू कर दी है। वहीं, सरकार बनाने पर भी विचार चल रहे है। अगले कुछ दिन में सरकार के गठन का एलान भी हो सकता है। खबर है कि सरकार गठन को लेकर तालिबान ने पिछली सरकार के नेताओं और अफसरों से मुलाकातों का दौर जारी रखा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बुधवार को तालिबानी नेताओं ने पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और अब्दुल्ला अब्दुल्ला से मुलाकात की। काबुल की जगह दोहा में हुई इस मुलाकात की अगुवाई तालिबानी नेता अनस हक्कानी ने की। बता दें कि हक्कानी तालिबानी कमांडर है और आतंकी समूह हक्कानी नेटवर्क का नेता है।
वहीं, सरकार गठन को लेकर मंगलवार को तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि अफगानिस्तान की नई हुकूमत में हर तबके के लोगों को जगह दी जाएगी। उसकी किसी से दुश्मनी नहीं है। उसने सबको माफी दे दी है। इस बीच, तालिबान का बड़ा नेता मुल्ला अब्दुल्ला गनी बरादर दोहा से काबुल पहुंच गया। बताया जाता है कि बरादर अफगानिस्तान का अगला सदर हो सकता है। मालूम हो कि एक समय था जब बरादर पर अमेरकी सेनाओं ने कार्रवाई की थी, तब से वह छुप कर रहा करता था। लेकिन सामने आने के बाद तालिबानी प्रवक्ता ने कहा है कि अब कोई भी नेता छूपकर नहीं रहेगा, सभी कोई सामने है और सामने रहेंगे।
गौरतलब हो कि इस बीच, तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने यह भी कहा, वे पूर्व की भांति बदल गए हैं और महिलाओं को सरकार में कार्य करने का मौका भी देंगे। हालांकि, आगे कहा कि उन्हें कार्य इस्लामिक शरियत के अनुसार ही करना होगा। अपने ही बयान से मुकर जाने वाला तालिबान अब बदलता हुआ दिख रहा है। हालांकि लोगों को विश्वास कैसे हो, इसपर चिंता बनी हुई है। और तो और तालिबान दावा कुछ कर रहा है और कर कुछ रहा है। इसकी तस्दीक है कि मीडिया में खबर चल रही है कि तालिबानियों ने अफगानिस्तान में लगे होर्डिंग्स से महिलाओं की तस्वीर तक को उतरवा दिया है।
बहरहाल दुनिया के सामने अपनी नई छवि पेश कर रहा तालिबान कितना उदार हुआ है ये आने वाला वक्त बताएगा। हम आपको बता दें कि तालिबान में जो सरकार बनने जा रही है, उसमें पूर्व राष्ट्रपति करजई अहम भूमिका निभा रहे हैं। दोहा में वे तालिबानी नेता हक्कानी के साथ बैठक कर रहे हैं। हक्कानी तालिबानी कमांडर है और आतंकी समूह हक्कानी नेटवर्क का नेता है। करजई 2002 से 2014 तक संकट के दौर में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति रह चुके हैं, जबकि अब्दुल्ला चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर रहे हैं।