Published on August 17, 2021 5:42 pm by MaiBihar Media
अफ़ग़ानिस्तान
अफगानिस्तान में तालिबान के नेतृत्व में हामिद करजई, डॉ अब्दुल्लाह और गुलबदीन हेमकितयार के बीच होने वाले बातचीत अब काबुल की बजाय दोहा में होगी। अब ये तीनों नेता बैठक के लिए काबुल से दोहा पहुंच रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दोहा में चल रही बातचीत की वजह से तालिबानी नेता मुल्ला बरादर काबुल नहीं पहुंचे, जिसके बाद दोहा में बैठक आयोजित की गई है।
इन सभी नेताओं की कोशिश है कि अफगानिस्तान में सभी सभी पक्षों को शामिल कर एक व्यापक अंतरिम सरकार बनाई जानी चाहिए ना कि केवल अकेली तालिबानी सरकार जिसे विश्व से ज्यादातर देश सम्भवत मान्यता न दें। हालांकि, जिस तरह पाकिस्तान, चीन और कुछ हद तक रूस तालिबान का समर्थन कर रहे हैं। ऐसे में यह कठिन है कि तालिबान दूसरे पक्षों को शामिल कर सरकार बनाने पर विचार कर सकता है। पाकिस्तान और चीन भी कुछ हद तक तालिबान का समर्थन कर रहे हैं उससे फिलहाल ये कहना जल्दीबाजी होगी की तालिबान क्या रुख इख़्तियार करेगा
खैर, चार करोड़ की आबादी वाला अफगानिस्तान बड़ी आसानी से तालिबान के कब्जे में आ गया। दुनिया को लगा था कि 31 अगस्त को जब अमेरिकी सेना अफगानिस्तान छोड़ेेगी, तो तालिबान सिर उठाने लगेगा। लेकिन, ये अंदाजा किसी को नहीं था कि अमेरिकी सेना के रहते हुए ही तालिबान 20 साल पहले जितना ताकतवर हो जाएगा। सत्ता अब तालिबान की है, लेकिन उसे सरकार चलाने का अनुभव नहीं है। काबुल में सोमवार को तालिबानी नुमाइंदे सरकारी दफ्तरों में गए। अफसरों से कहा कि कामकाज जारी रखिए। सभी सरकारी दफ्तरों पर अब तालिबानी झंडे फहरा रहे हैं।
वहीं, बात अगर इससे पहले रविवार की करे तो उस दिन तालिबानी लड़ाकों के राजधानी काबुल में घुसने से पहले ही राष्ट्रपति अशरफ गनी परिवार समेत देश छोड़कर चले गए। तालिबान प्रवक्ता ने कहा कि गनी 50 लाख अमेरिकी डॉलर से भरी एक कार भी साथ लेकर एयरपोर्ट तक गए थे, लेकिन हमारी धमकी के बाद कैश वहीं छोड़ गए। गनी के जाते ही पूरी सरकार छिप गई। तालिबानी लड़ाके सैन्य तोपों की नुमाइश करते दिखे। लड़ाके जिस ओर रुख करते, महिलाएं घरों में छिप जातीं। सरकारी दफ्तरों में महिलाएं नहीं पहुंचीं, क्योंकि तालिबान फरमान जारी कर चुका है कि महिलाओं का बाहर काम करना हराम है। ऐसा हुआ तो सजा मिलेगी।
तख्तापलट को अमेरिका और यूरोपीय देश अवैध मान रहे हैं। लेकिन, रूस, चीन और पाकिस्तान ने तालिबान को सरकार के तौर पर मान्यता देने की घोषणा की है। चीन ने सोमवार को कहा कि वह तालिबान सरकार का सहयोग करेगा। रूस ने कहा कि तालिबान अब अफगानिस्तान की सच्चाई है। तालिबान से दोस्ताना संबंध रखे जाएंगे। इधर, भारत ने इस संबंध में अभी कोई बयान नहीं दिया है। तीन दिन पहले कहा था कि जबरन तख्तापलट को भारत सरकार मान्यता नहीं देगी। उधर, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के हालिया बयान में यह साबित हो गया है कि वह तालिबान के समर्थक है। सोमवार को इस्लामाबाद में एक प्रोग्राम के दौरान इमरान खान ने कहा – तालिबान ने वास्तव में गुलामी के जंजीरों को तोड़ दिया है।