Published on July 6, 2022 4:06 pm by MaiBihar Media

माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ने जून 2022 में जारी एक सरकारी आदेश को चुनौती दी है। ट्विटर ने अपनी याचिका में सरकारी अधिकारियों पर शक्ति के दुरुपयोग का आरोप भी लगाया है। ट्विटर ने भारत सरकार के उस आदेश को कर्नाटक हाई कोर्ट में चुनौती दी है,  जिसमें नए आईटी कानूनों के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से कुछ पोस्ट्स हटाने के निर्देश दिए गए थे। बता दें कि इससे पहले सोशल मीडिया पर लगाम लगाने के लिए हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के जज ने भी सरकार को कानून बनाने की सलाह दी थी। पिछले दो साल से ट्विटर और केंद्र सरकार के बीच कई बार टकराव की स्थिति बनी है।

खैर, ट्वीटर और सरकार के बीच छिड़ी जंग के बीच केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, किसी भी क्षेत्र की कोई भी कंपनी हो, उसे भारत के कानून मानने होंगे। फेक न्यूज फैलाने वाले अकाउंट हटाने होंगे। कोर्ट में कंपनी ने कहा है कि कंटेंट को ब्लॉक करने का यह आदेश मनमाना है। कंपनी ने कहा है कि सरकार द्वारा किए गए कई अनुरोध उन राजनीतिक कंटेंट के खिलाफ कार्रवाई के लिए हैं, जो राजनीतिक दलों के हैंडल द्वारा पोस्ट किए गए हैं। इन्हें प्रतिबंधित करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी का उल्लंघन है। ये कंटेंट आईटी एक्ट की धारा 69ए के तहत नहीं हैं।

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वैष्णव ने कहा, दुनियाभर के देश और समाज सोशल मीडिया को जिम्मेदार बनाने की दिशा में बढ़ रहे हैं। इसका पहला कदम खुद ही ऐसे कंटेंट हटाना है, जिससे समाज में गलत प्रभाव पड़े। उसके बाद इंडस्ट्री रेगुलेशन और फिर सरकारी रेगुलेशन की बारी आती है। वहीं, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने सोशल मीडिया पर कहा, सभी प्लेटफार्मों को कोर्ट जाने की स्वतंत्रता है, लेकिन उन्हें कानूनों का पालन करना ही होगा।

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