Published on June 29, 2022 2:06 pm by MaiBihar Media

इस बार 30 जून से गुप्त नवरात्रि शुरु हो रहा है। साल में चार बार नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है, दो नवरात्रि गुप्त होती हैं और दो सामान्य होती है। गुप्त नवरात्रि माघ और आषाढ़ मास में आती है जबकि, दो सामान्य नवरात्रि आश्विन मास और चैत्र मास में आती है। यह मां भगवती की आराधना का महान पर्व है। ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि में मां के नौ रूपों की भक्ति करने से हर मनोकामना पूरी होती है। गुप्त नवरात्रि में साधक महाविद्याओं के लिए खास साधना करते हैं।

इन नौ दिनों में मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धुमावती, मां बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती हैं। जानकारों अनुसार आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 30 जून, गुरुवार से हो रही है। गुप्त नवरात्र का समापन आगामी जुलाई, शनिवार को होगा। प्रतिपदा तिथि 29 जून को सुबह 8 बजकर 21 मिनट से 30 जून 2022 को सुबह 10 बजकर 49 मिनट तक रहेगी।

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अभिजित मुहूर्त – 30 जून को सुबह 11 बजकर 57 से 12 बजकर 53 मिनट तक रहेगा। नवरात्र के प्रथम दिन धुव्र योग, व्याघात योग बन रहे है। मां का आगमन डोली में होगा। वहीं इस बार वह मुर्गा पर प्रस्थान करेंगी जो शुभ नहीं है।

जानकारों के अनुसार विधान से पूजा फलदाई होती है। जानकारों के अनुसार घट स्थापना एवं विधि-सुबह जल्दी स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें। फिर पूर्व दिशा में एक चौकी पर लाल वस्त्रत्त बिछाकर मां दुर्गा की प्रतिमा को गुलाब की पत्तियों के आसन्न पर स्थापित करें। मां को लाल चुनरी पहनाएं। अब मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोएं और नवमी तक पानी का छिड़काव करें। शुभ मुहूर्त में कलश को गंगा जल से भरें, उसके मुख पर आम की पत्तियां लगाएं और उस पर नारियल रखें। कलश को लाल कपड़े से लपेटकर उसके ऊपर मौली बांधें। अब इसे मिट्टी के बर्तन के समीप रख दें। घी की ज्योत लगाएं।

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कपूर अगरबत्ती की धूप करें और भोग लगाएं। नौ दिनों तक ‘दुर्गा मंत्र ऊँ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।’ का एक माला का जाप करें। साथ ही माता के सम्मुख हाथ जोड़, उनका अपने घर में स्वागत करें व उनसे सुख-समृद्धि की कामना करें।

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