Published on May 26, 2022 11:37 am by MaiBihar Media
अब किसान बेकार पड़े केले के तने और उसके पत्ते से वर्मी कंपोस्ट तैयार कर सकते हैं। इसको तैयार करने के लिए केवीके की ओर से किसानों को प्रशिक्षित भी किया गया। स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र वैशाली में केले के तने का सदुपयोग कर खाद के रूप में परिवर्तित करने के लिए किसानों को प्रशिक्षण दिया गया। सबसे अच्छी बात यह है कि बिहार के हाजीपुर में सबसे अधिक केले की खेती होती है और इसके अलावे अन्य क्षेत्रों में भी केले लोग शौकिया लगाया करते हैं। केले के तने से जब तक फल लगता तब तक वो कामयाब रहता लेकिन फल नहीं लगने के बाद आम तौर पर किसान केले के वेस्ट मैटेरियल को फेंक देते हैं जला देते हैं या सुखा कर जलावन बना डालते हैं। लेकिन अब किसानों के लिए अच्छी खबर है कि किसान केले के तने और पत्ते का भी उपयोग कर सकेंगे।
कैसे तैयार करें केला तना से वर्मी कंपोस्ट
कृषि विज्ञान केंद्र वैशाली की वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान ने बताया कि व्यर्थ केले के तने एवं पत्ते से वर्मी कंपोस्ट खाद का निर्माण किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में केले के थंब यानी तना और पत्तियों को छोटे-छोटे टुकड़े में काट कर गोबर के साथ मिलाकर छायादार स्थान पर जमा कर दें। छोटे-छोटे टुकड़े में कटे हुए केला तना और पत्तों में गोबार मिलाकर केंचुआ छोड़ दिया जाता है। इस तरह केला के अप्विष्ठ को 3 माह के अंदर वर्मी कंपोस्ट तैयार हो जाती है। इस तरह के वर्मी कंपोस्ट में कई प्रकार के हारमोंस भी उपलब्ध होते हैं। जिससे पौधों की वृद्धि के लिए फल फूल के लिए काफी उपयोगी होती है। बेकार पड़े केल थंम और पत्तों से किसान अपनी आर्थिक स्थिति भी सुधार सकते हैं।
इस संबंध में केंद्र प्रधान सह वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि वैशाली जिला में केला की फसल बड़े पैमाने पर होती है। केला फल कटाई के बाद किसान केले के तने को काट कर फेंक देते हैं। जिससे खेतों में ढ़ेर लगाए जाने के बाद बहुत अधिक दिनों के बाद सड़ता है। जिससे वायु प्रदुषित और सड़ने के बाद इससे से जल प्रदूषित होता है। उन्होंने बताया कि केला तना और पत्ता से किसान वर्मी कंपोस्ट तैयार कर खेतों के लिए बेहतर खाद प्राप्त कर सकते है। इसके साथ ही किसान जल और वायु को प्रदूषित होने से बचाने में अपनी सहभागिता वर्मी कंपोस्ट तैयार कर निभा सकते है।