Published on December 15, 2021 10:02 pm by MaiBihar Media
मौसम लगातार सर्द होते जा रहा है। ऐसे में कृषि और मौसम विभाग ने एडवाइस जारी कर किसानों से रबी फसल की बुवाई जल्द करने की सलाह दी है। कृषि विशेषज्ञों ने कहा गया है कि रबी फसल के लिए समय बीत रहा है। लेट होने पर पछेती किस्मों की बुआई की सलाह दी जाती है। इसके लिए अभी से ही प्रमाणित स्त्रोत से बीज का प्रबंध कर लें। दक्षिणी बिहार के लिए गेहूं की पछेती किस्में जैसे एच.डी. 2643, एच.यू.डब्लू. 234, डब्लू.आर. 544, डी.बी.डब्लू. 14, एच.डी. 2967 तथा एच.डब्लू. 2045 अनुसंशित है। चना की बुआई 15 दिसम्बर तक अवश्य संपन्न कर लेनी चाहिए थी। लेकिन जो किसान अब तक चने की फसल लगा नही पाए उन्हें खेत तैयार कर जल्द चने की बुवाई कर लेनी चाहिए।
ऐसे तैयार करें खेत
खेत की तैयारी के समय 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 45 किलोग्राम फास्फोरस, 20 किलोग्राम पोटाश एवं 20 किलोग्राम सल्फर प्रति हेक्टेयर की दर से व्यवहार करें। चना के लिए उन्नत किस्म पूसा-256, केपीजी-59(उदय), केडब्लूआर 108, पंतजी 186 एवं पूसा 372 अनुशंसित है। बीज को बेबीस्टीन 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें। 24 घंटा बाद उपचारित बीज को कजरा पिल्लू से बचाव हेतु क्लोरपाईरीफास 8 मिली प्रति किलोग्राम की दर से मिलावें। पुनः 4.5 घंटे छाया में रखने के बाद राईजोबीयम कल्चर (पाच पैकेट प्रति हेक्टेयर) से उपचारित कर बुआई करें। छोटे दानों की किस्मों के लिए बीज दर 75 से 80 किलोग्राम एवं बड़े दानों के लिए 100 किलो प्रति हेक्टेयर तथा दुरी 30×10 सेमी रखें।
प्याज रोपने का समय, तैयारी का रखें ख्याल
प्याज की रोपाई के लिए खेत की तैयारी करें। खेत की जुताई में 15 से 20 टन गोबर की खाद, 60 किलोग्राम नाइट्रोजन, 80 किलोग्राम फास्फोरस, 80 किलोग्राम पोटाश तथा 40 किलोग्राम सल्फर प्रति हेक्टेयर का व्यवहार करें। जिन किसान का प्याज का पौध 50-55 दिनों का हो गया हो वे छोटी-छोटी क्यारियां बनाकर पाँक्ति से पंक्ति की दूरी 15 सेमी, पौध से पौध की दुरी 10 सेमी पर रोपाई करें।
आलू पत्तियों के विकास के लिए इन तरीकों को उपनाएं आलू की फसल में पौधों की ऊंचाई 12-15 सेमी हो जाने पर आलू में निकौनी कर मिट्टी चढ़ाने का कार्य करें। चूकि खाद की मात्रा ज्यादा रखी जाती है इसलिए रोपनी के 10 दिन बाद, परन्तु 25 दिन के अन्दर ही प्रथम सिंचाई अवश्य करें। ऐसा करने से अंकुरण शीघ्र होगा तथा प्रति पौधा कन्द की संख्या बढ़ेगी, जिससे उपज में वृद्धि होती है। राई और सरसो की फसल जो 20 से 25 दिनों की हो गयी है। अतिरिक्त घने पौधों की बछनी तथा निराई-गुड़ाई जरूर करें।