Published on December 13, 2021 11:53 pm by MaiBihar Media
राज्य में अभी भी किसान गेहूं की बुआई करने में लक्ष्य से पीछे हैं। इसके कारण है कि कृषि वैज्ञानिक का कहना है कि इसके लिए दिन का तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से कम होना चाहिए। क्योंकि सर्दी पड़ने पर ही अंकुरण प्रतिशत ज्यादा होता है। हर साल गेहूं बुआई का समय 15 नवंबर से 15 दिसंबर तक रहता है। जबकि दिसंबर का दूसरा पखवारा शुरू होने वाला है, लेकिन अभी तक दिन का पारा 28 से 29 डिग्री के बीच बना हुआ है। इस वजह से जहां दिन के मौसम में गर्माहट रहने की वजह से इसका विपरीत प्रभाव रबी फसलों की बोआई पर दिखने लगा है।
क्यों नहीं हुई बुआई
मौसम की बेरूखी का सबसे अधिक नुकसान क्षेत्र के किसानों को उठाना पड़ रहा है। तापमान 25 डिग्री से नीचे नहीं होने कारण किसान अंकुरण की कमी से परेशान हैं। यही वजह है कि किसानों द्वारा अच्छी ठंड का इंतजार खत्म नहीं हो पा रहा है। आधा दिसंबर निकलने वाला है, लेकिन अच्छी ठंड की शुरूआत नहीं हो रही है। अभी भी सुबह और शाम के समय ही ठंड का असर दिखाई दे रहा है जबकि दोपहर में धूप की गर्माहट महसूस हो रही है। वहीं, कुछ जगहों पर मिट्टी गीली होने की वजह से किसान बावग नहीं कर सके हैं। इन दोनों समस्याओं की वजह से अब तक जिले में महज 60 प्रतिशत ही खेतों में बोअनी हो सकी है। वहीं तय लक्ष्य से करीब 38 हजार 684 हेक्टेयर में किसान अब तक गेहूं की बुआई से पिछड़ गए हैं।
जिन किसानों ने गेंहू की बोवनी कर दी है। अब उन्हें दिन का तापमान कम नहीं होने की वजह से फसल के उत्पादन को लेकर चिंता सताने लगी है। क्योंकि बीजों में अंकुरण और बढ़ोतरी के लिए ठंड पड़ना जरूरी है। अगर ठंड नहीं पड़ी तो पौधे नहीं बढ़ सकेंगे। इसमें सबसे अधिक नुकसान गेहूं की फसल को होगा।
मौसम ने गड़बड़ किया कृषि विभाग का लक्ष्य
मौसम के मिजाज ने कृषि विभाग का अनुमान गड़बड़ा दिया है। 40 प्रतिशत हिस्से में इस बार रबी की बोवनी अभी तक नहीं हुई है। इस बार 1 लाख 18 हजार 540 हेक्टेयर में रबी की खेती का लक्ष्य है। इसमें 97 हजार 200 हेक्टेयर में गेहूं की खेती के लक्ष्य के विरूद्ध अब तक 58 हजार 516 हेक्टेयर में ही बोवनी हो सकी है। हालांकि बोवनी का सिलसिला अभी चल रहा है।