Published on December 3, 2021 9:14 pm by MaiBihar Media
बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित जूरन छपरा स्थित आई हॉस्पीटल से जुड़ा मामला गंभीर होते जा रहा है। दरअसल, विगत 22 सितंबर को मोतियाबिंद की 65 लोगों ने ऑपरेशन करवाया और लगभग सभी की आखों से रौशनी गायब होने लगी। अबतक कुल बारह लोगों की आंख निकाली जा चुकी है। घटना को लेकर विपक्षी दलों ने नीतीश सरकार के स्वास्थ्य व्यवस्था के हालात की कड़ी निंदा की है। उधर सरकार की ओर से जांच जारी है। वहीं, नरकटियागंज से इस मामले से जुड़ा नया मामला प्रकाश में आया है।
आंख निकालने का रैकेट चला रखा हॉस्पीटल में
नरकटियागंज के शेरहवा डकहवा पंचायत के शेरहवा गांव के एक महिला समेत चार लोगों के आंखों से ऑपरेशन के बाद साफ-साफ नहीं दिखाई दे रहा है। सभी लोग मुजफ्फरपुर के जूरन छपरा स्थित आई हॉस्पीटल में आॉपरेशन करा कर लोटे हैं। लोगों ने बताया है कि आंख में दवा डालने को दी गई। फिर उन्हें उक्त हॉस्पीटल से निकालकर किसी दूसरे हॉस्पीटल में ले जाया गया। जहां अन्य मरीजों का आंख निकाला जा रहा था। महज संयोग था कि वहां पुलिस ने छापेमारी कर दी। इससे उनके साथ गए परिजन उन्हें लेकर भागने में सफल रहे। उन्होंने बताया कि उनके सभी कागजात अस्पताल वालों ने पहले ही ले रखे थे। उन्होंने बताया कि अस्पताल में इलाज के पूर्व उनका गलत एड्रेस भी अंकित किया गया था। उन्होंने संदेह जताते हुए बताया कि आंख शिविर लगा कर कतिपय चिकित्सकों ने आंख निकालने का रैकेट चला रखा था। उनकी आंख किसी तरह बच गई।
सक्रिय दलालों के जरिए हॉस्पीटल तक पहुंचे लोग
ऑपरेशन के बाद अभी भी उन्हें आंख में दर्द और धुंधलापन की शिकायत है। अब वे अन्य आंख के डाक्टर के पास जाने की तैयारी में है। वहीं पंचायत के मुखिया अनुपधर दुबे ने बताया कि पंचायत की जनता के साथ मुजफ्फरपुर आई हॉस्पीटल के कतिपय दलाल सक्रिय है। भोले भाले लोगो को बरगलाकर वहां ले जाया गया है। उल्लेखनीय है कि ऑपरेशन कराने के 6 दिन बाद भी उन लोगों में आंखों में दर्द है तथा ऑपरेशन हुए आंख से स्पष्ट दिखाई नहीं दे रहा है। बता दें कि ऐसा मामला कोई पहला नहीं है। इससे पहले कई ऐसे मामला सामने आया है। आंखों की रौशनी जाने के बाद एनएमसीएच में लोगों की आंखों को निकाला जा रहा है।