Published on December 3, 2021 11:14 pm by MaiBihar Media

उद्योगपति गौतम अडानी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मुलाकात हुई है। इसको लेकर अडानी ने ट्वीट करते हुए कहा, “पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात कर ख़ुशी हुई। उनके साथ राज्य में निवेश की संभावनाओं पर विमर्श किया। मैं अप्रैल 2022 में बंगाल ग्लोबल बिज़नेस समिट में उपस्थिति रहने की आशा करता हूँ।” वहीं, इसको लेकर अब पक्ष-विपक्ष की कई प्रतिक्रिया भी सामने आ रही है। इस क्रम में वरिष्ठ पत्रकार रविश कुमार की एक रिपोर्ट पढ़िये जो उन्होंने अडानी और ममता बनर्जी के मुलाकात पर लिखी है।

“अडानी से ममता बनर्जी ने मुलाक़ात की क्या आप किसी के अदाणी या अंबानी होने के मतलब समझते हैं? उन्हें लेकर किसी तरह की बातें ज़्यादा करते हैं? आर्थिक या उनके राजनीतिक संबंधों की? मैं कहीं से नहीं कह रहा कि राजनीतिक संबंधों को लेकर होने वाली बात जायज़ नहीं है। मैं यह कहना चाहता हूँ कि जब आप सब बात करें तो केवल यह न देखें कि कांग्रेस से लेकर ममता बनर्जी तक उनसे मिल रहे हैं। बल्कि यह देखें कि मिलने वालों की आर्थिक नीति क्या है? उसके भीतर कितने छोटे बड़े अदाणी और अंबानी होंगे हमें और आपको भी पता नहीं होगा।

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नव उदारवादी नीतियों की गहरी चालों को समझिए। कई चेहरे विकास का मुखौटा लेकर घूम रहे हैं। तो आप जनता की नज़र से देखिए। इनकी आर्थिक नीतियों को लेकर सोचिए। उन नीतियों से एक को सब मिलता है और बाक़ी को कुछ नहीं मिलता है, इसे लेकर सोचिए। ये बहुत मुश्किल काम है। चाहें आप कांग्रेस के समर्थक हों या भाजपा के या आम आदमी पार्टी के। राजनीतिक दल के क़रीब जाने से पहले आर्थिक समझ काफ़ी बेहतर करें। पढ़ें और समझें। वरना एक दिन आपको लगेगा कि धोखा खा गए। इसमें ग़लती आपकी है।

आप जब तक इसे नहीं समझेंगे, यह नहीं जान पाएँगे कि क्यों सरकारी नौकरियाँ नहीं हैं, क्यों ठेके की नौकरी है? क्यों पेंशन नहीं है? क्यों सरकारी अस्पताल और सरकारी स्कूल टॉप क्लास नहीं है? एक आदमी की सफलता को ज़िला से लेकर राज्य और देश की सफलता बता कर बाक़ी 99 प्रतिशत को सपने दिखाए जाते रहेंगे। आप ठगे जाते रहेंगे चाहे आप किसी भी दल के पीछे क्यों न रहते हो। आर्थिक नीतियों के मोर्चे पर आगे भी धोखा खाते रहेंगे। बदलाव चाहते हैं तो अपने प्रिय दलों की सरकारों के आर्थिक फ़ैसलों पर गहराई से नज़र रखिए। नहीं तो जो चल रहा है उसे चलने दीजिए। ज़िंदाबाद मुर्दाबाद करते रहिए।” इस लेख को बिना बदलाव किए प्रकाशित किया गया है। साभार- रविश कुमार, फेसबुक पोस्ट

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