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Published on November 17, 2021 8:54 pm by MaiBihar Media

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि वह पराली को लेकर किसानों को सजा नहीं देना चाहती। किसानों की क्या दिक्कत है, वो मशीन का इस्तेमाल क्यों नहीं कर रहे हैं? फाइव स्टार होटल में बैठकर लोग आंकड़े बता रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि किसानों से जाकर बात करिए और पता कीजिए कि उनके पास पैसा है या नहीं। है। इसके अलावे कोर्ट ने हरियाणा और पंजाब की सरकारों से भी जाना कि पराली जलाने से मसले पर उन राज्यों में क्या कदम उठाए गए हैं।

टीवी न्यूज चैनलों के डिबेट फैल रहा है सबसे अधिक प्रदूषण
इतना ही नहीं भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की बेंच ने प्रदूषण को लेकर सुनवाई के दौरान कई अहम टिप्पणियां भी की। कोर्ट ने न्यूज चैनलों पर हो रही डिबेट पर अपनी नाराजगी जाहिर की। चीफ जस्टिस ने कहा, टीवी न्यूज चैनलों के डिबेट सबसे अधिक प्रदूषण फैला रहे हैं। वे नहीं समझते हैं। सबका अपना एजेंडा है।

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कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल की नहीं सुनी सफाई
गौरतलब हो कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में सुनवाई की शुरुआत में कहा कि मेरे बारे में मीडिया में कहा गया कि मैंने पराली जलाने को लेकर गलत जानकारी दी, मैं इस पर स्पष्टीकरण देना चाहता हूं। जिसपर सीजेआई ने कहा कि पब्लिक ऑफिस में ऐसी आलोचना होती रहती है, इसे भूल जाइए।

दिल्ली सरकार को कोर्ट पूछा सवाल
कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि प्रदूषण को कम करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे है। जिस पर जवाब देते हुए दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, दो महीनों में पराली जलाने की घटनाएं चरम पर हैं। पराली जलाना प्रदूषण का कारण है।

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कोर्ट में सरकार की ओर से दी गई यह जवाब 
दिल्ली सरकार ने कहा, पैट्रोलिंग के साथ निर्माण स्थलों पर सख्ती ने नजर रखी जा रही है और एंटी स्मॉग गन लगाई गई है। एंटी डस्ट कैंपेन भी चलाया जा रहा है। कोर्ट ने पूछा कि यूपी, पंजाब और हरियाणा के सिर्फ कुछ ही गांवों में पराली जलती है। हम उसपर बात नहीं करेंगे। दिल्ली सरकार बताएं कि उसने क्या किया है? इसपर सिंघवी ने बताया है कि कल जो सभी राज्यों की बैठक में निर्देश दिए गए थे। उसमें से 90 प्रतिशत कदम दिल्ली सरकार पहले ही उठा चुकी

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