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Published on November 6, 2021 12:37 am by MaiBihar Media

यूं तो किसान धान और गेहूं जैसे पारंपरिक फसलों की खेती करते आ रहे हैं, जिससे उन्हें अब धान-गेहूं की फसल घाटे का सौदा प्रतीत होने लगा है। इसे लेकर कृषि वैज्ञानिकों का यह दावा है कि अगर किसान बदलते समय के साथ परंपरागत खेती को छोड़कर आधुनिक तकनीक से पपीता की व्यावसायिक खेती करें तो वे इस खेती को बेहतरीन मुनाफे का सौदा बना सकते हैं। किसानों को गेहूं और धान जैसी परंपरागत फसलों की खेती के बजाय फल, फूल, सब्जियों, औषधीय पौधें, मसाला फसलें आदि की खेती करने को लेकर गंभीरता से विचार करना चाहिए।

इसके पीछ वैज्ञानित यह तर्क भी दे रहे हैं कि सिंचाई की महंगी व्यवस्था, महंगे बीज, उर्वरकों की बढ़ती कीमत तथा फसलों को बेचने के लिए आसान और सुलभ साधन न हो पाने के कारण किसानों की परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है। हालांकि इन सभी समस्याओं से सहमत होने के बावजूद किसान अगर व्यवसाय अधारित खेती करें तो उन्हें आय अधिक प्राप्त होगा।

पपीता की खेती कब से करें शुरुआत
कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि पपीता उष्ण कटिबंधीय फल है। किसान इसके अलग-अलग किस्मों को जून-जुलाई से लेकर अक्टूबर-नवंबर या फरवरी-मार्च तक खेतों में लगा सकते है। पपीते की फसल पानी को लेकर काफी संवेदनशील होती है। पपीता लगाए जाने से लेकर फल आने तक इसमें उचित मात्रा में ही पानी देना चाहिए। पानी की कमी से पौधों और फलों की बढ़त पर असर पड़ता है परंतु पानी की अधिकता होने से सीधा पपीता का पौधा ही नष्ट हो जाता है। किसानों को पपीता उन्हीं खेतों में लगाना चाहिए जहां पानी बिल्कुल भी जमा न होता हो।

सिर्फ इन बातों का ध्यान रख किसान दोगुना कर सकते हैं कमाई
कृषि वैज्ञानिक ने बताया है कि खेतों में पपीता लगाएं जाने के बाद पपीते के दो पौधों के बीच पर्याप्त मात्रा में जगह खाली पड़ी रहती है। ऐसी स्थिति में किसान इन जगहों का उपयोग छोटे आकार वाले सब्जियों के पौधों को लगाकर इसकी खेती करते हुए अतिरिक्त आय भी प्राप्त कर सकते हैं। जैसे किसान पपीते के दोनों पेड़ों के बीच प्याज, पालक, मेथी, मटर, बींस आदि सब्जियों की खेती आसानी से कर सकते हैं। पपीते की फसल में किसानों को यह सावधानी जरूर बरतनी चाहिए कि वे पपीते से एक बार फसल लेने के बाद उसी खेत में तीन साल तक पपीते की खेती न करें तो बहुत अच्छा रहेगा। चूंकि एक ही खेत में लगातार पपीते की खेती करने से फलों का आकार छोटा होने लगता है।

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कौन सी प्रजाति लगाएं जिससे होगा अधिक मुनाफा
केंद्रीय कृषि विवि पूसा के सह निदेशक का मानना है कि अक्टूबर का महीना पपीता लगाने के लिए काफी उपयुक्त माना जाता हैं। बिहार के किसान पपीता की प्रजाति रेड लेडी की खेती कर अधिक से अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। उन्होंने कहा कि पपीता की खेती किसानों के लिए एक ऐसा विकल्प है जिसके माध्यम से किसान सभी लागत खर्च निकालने के बावजूद प्रति हेक्टेयर लगभग तीन लाख रुपये की शुद्ध कमाई कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि पपीते की रेड लेडी प्रजाति एक ऐसी प्रजाति है जिसकी खेती किसानों को मालामाल बना सकती है। पपीते की खेती में इस प्रजाति को कृषि वैज्ञानिक किसानों के लिए सबसे उपयुक्त मानते हैं।

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कैसे करें पपीता की रोपाई और देखभाल के लिए क्या करें उपाय
उन्होंने बताया कि पपीते में गर्मी में हर हफ्ते तथा ठंड में दो हफ्ते के बीच इसमें सिंचाई करनी चाहिए। किसान पपीता लगाने के लिए उन्नत किस्म के बीजों को अधिकृत जगहों से खरीदकर तथा अच्छे से खेतों की जुताई कराकर खेतों में एक सेंटीमीटर की गहराई पर इसकी रोपाई करें। उन्होंने बताया कि पपीते का पौधा लगाने के लिए किसान 60 सेंटीमीटर लंबा, 60 सेंटीमीटर चौरा तथा 60 सेंटीमीटर गहरा खेतों में गड्ढा खोदने के बाद उसमें उचित मात्रा में नाइट्रोजन, फोस्फोरस, पोटाश व देशी खादों को डालकर गड्ढे को 20 सेंटीमीटर की ऊंचाई तक भर दें तथा इसके बाद ही इस गड्ढे में पौधे की रोपाई करें।

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उन्होंने बताया कि पपीते के बेहतर उत्पादन के लिए 20 डिग्री सेंटीग्रेड से 30 डिग्री सेंटीग्रेड तक का तापमान सबसे उपयुक्त होता है। उन्होंने किसानों को बताया कि पपीते की रोपाई के लिए सामान्य पीएच मान वाली बालुई दोमट मिट्टी बेहतर होती है। उन्होंने कहा कि पपीते के पौधे में एफीड एवं सफेद मक्खियों के वायरस के द्वारा पर्ण संकुचन रोग और रिंग स्पॉट रोग भी लग जाता है। इससे बचाव के लिए किसान पौधे पर डाइमथोएट दवाई का 2 मिलीलीटर मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

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