उत्तराखंड में कई जगह भारी बारिश और भूस्खलन से मकान गिरने से अलग-अलग घटनाओँ में करीब 40 लोगों की मौत हो गई है। वहीं, 20 लापता बताए जा रहे हैं। फिलहाल हेलिकॉप्टर से उनकी तलाश जारी है। बताया जा रहा है कि राज्य में करीब एक हजार मकान मलबे में दब गए हैं। इन क्षेत्रों में सेना और वायुसेना द्वारा राहत व बचाव कार्य जारी है। कई जगह भूस्खलन से नैनीताल सहित कई क्षेत्रों का लगभग सौ जगहों पर सड़कों का संपर्क टूट गया है। उधर, लगातार बारिश से नैनी झील में अब तक का सबसे अधिक 12.2 फीट जलस्तर पहुंच गया है। तमाम चिजों पर मुख्यमंत्री नजर बनाएं हुए हैं। मृतकों के परिजनों को चार लाख मुआवजा देने का एलान किया है।
सेना ने छह सौ लोगों को निकाला सुरक्षित, हेलिकॉटर रेस्कयू जारी
जानकारी के मुताबिक चार धाम यात्रा पर रोक पहले लगाई जा चुकी थी। इसके बाद भी हजारों की संख्या में चार धाम के श्रद्धालुओं सहित सैलानी रास्तों में फंसे हुए हैं। वहीं, भारी बारिश और भूस्खलन के कारण कई इलाकों में 400 से ज्यादा लोग इमारतों में फंसे हुए है। हालांकि सेना के द्वारा हेलिकॉप्टर से लगातार लोगों तक मदद पहुंचाई जा रही है। इन इलाकों में राहत बचाव कार्य जारी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अलग-अलग जगहों से छह सौ लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। एक रिपोर्ट की माने तो मुक्तेश्वर में पिछले 24 घंटे में 340 मिमी बारिश हुई है। यह 106 साल में सबसे ज्यादा है। मौसम केंद्र के उपलब्ध रिकॉर्ड में यह अब तक सबसे ज्यादा है।
मुख्यमंत्री ने किया प्रभावित क्षेत्रों का दौरा
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भारी बारिश से प्रभावित क्षेत्रों का हवाई दौरा किया और प्रदेशवासियों से धैर्य और संयम रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकार को हरसंभव मदद देने का भरोसा दिया है। उन्होंने कहा कि जो पर्यटक रास्तों में फंसे है, उनको सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। साथ ही दौरा के बाद मुख्यमंत्री ने मृतकों के आश्रितों को चार-चार लाख मुआवजा देने का ऐलान किया।
इन जिलों में सबसे अधिक तबाही
बताते चले कि कुमाऊं में सबसे ज्यादा तबाही हुई है। लगातार बारिश के चलते नदी नाले उफान पर हैं। बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए हैं। वहीं, नैनीताल जिले के रामगढ़ में भारी बरसात के चलते एक दर्जन से अधिक मकान नदी में समा गए हैं। इसमें 15 लोगों के मरने व 20 लोगों के लापता होने की खबर है। उधर, अल्मोड़ा जिले में 10 मकानों के गिरने से चार लोगों की मौत हो गई। एक परिवार के तीन सदस्य जमींदोज हो गए।
बादलों के टकराने और झील में पानी की अधिकता से आई आपदा
आपदा को लेकर कहा जा रहा है कि नैनीताल झील में पानी पहली बार तटबंध तोड़कर शहर में घुस गया। जिससे शहर में अफरातफरी मच गई। झील के दोनों निकासी गेट खोलने पड़े। इसके बावजूद रात तक माल रोड और नैना देवी मंदिर परिसर में झील का पानी प्रवेश कर गया। आमतौर पर सितंबर में मानसून की विदाई के बाद अक्टूबर में नैनीझील का जलस्तर काफी घट जाता है। नैनीताल में कल से अब तक 500 मिमी से ज्यादा वर्षा हो चुकी है।
हिमालय बेसिन में ऐसा कम ही होता है, जब पश्चिमी विक्षोभ और पूर्वी विक्षोभ आपस में टकराए हों। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक ने बताया कि भूमध्य सागर से काफी निचले स्तर पर बादल हिमालय की तरफ आए। जबकि उसी समय बंगाल की खाड़ी से भी गर्म हवाआों के साथ बादल हिमालय की तरफ बढ़े। ये दोनों विक्षोभ कुमाऊं के ऊपर आपस में टकराए। इससे भारी से बहुत भारी बारिश हुई और आपदा की स्थिति बनी।