दुर्गा पूजा पर विशेष- गुरवार से नवरात्र की शुरूआत कलश स्थापना के साथ हो गया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री नीतीश समेत देश के पक्ष-विपक्ष के कई नेताओं ने नवरात्र की बधाई दी है। देशभर में लोगों के अंदर उत्साह है। बिहार में भी मां दुर्गा के भक्तों में खासा जुनुन देखने को मिल रहा है। बात अगर शेखपुरा जिले की करे तो शेखपुरा में अनुठी परंपरा वर्षों से चलते आ रही है। यहां हर वर्ष दशहरा त्यौहार पर सोलह कहार की परंपरा सैकड़ो वर्षो से लेकर आज तक बरकरार हैं।  

सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है परंपरा-शेखपुरा में दस फीट की मां दुर्गा की विशाल प्रतिमा के साथ अन्य देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित की जाती है। इन सभी प्रतिमाओं का वजन दो टन के करीब हो जाता है। शेखपुरा में प्रतिमाओं के विसर्जन के पिछले सौ से अधिक वर्षो से चली आ रही सोलह कहार की इस परंपरा के तहत लोग दो टन की पूरी प्रतिमा को कंधे पर उठाकर शहर का परिक्रमा करते हैं। शेखपुरा शहर में दुर्गा पूजा का विसर्जन जुलूस को लगभग छह किमी की दूरी तय करनी पड़ती है।

क्या बोले समिति के अध्यक्षइस परंपरा को लेकर दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष ने कहा है कि प्रतिमा विसर्जन में सोलह कहार की यह परंपरा बेटी की विदाई के भावनात्मक संबंध से जुटा हुआ है। जिस तरह नैहर से बेटी की विदाई में घर के लोग पालकी को कंधा देते हैं वहीं, भावनात्मक रिश्ता दिखाने के लिए विसर्जन जुलूस में दुर्गा की प्रतिमाओं को सोलह कहार उठाकर समूचे शहर का भ्रमण करते हैं।

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क्या हुआ अब बदलाव

पूजा समिति के अध्यक्ष ने कहा कि अब प्रतिमा उठाने वाले कहारों को खोजने में समस्या झेलनी पड़ती है, फलत:पूजा समितियां प्रतिमा विसर्जन को ट्रैक्टर का सहारा लेने लगे हैं आगे उन्होंने बताया कि शहर की सभी प्रतिमाएं गिरीहिन्डा के खीरी पोखर में विसर्जित जी जाती है। हालांकि इस बार प्रशासनिक आदेश के कारण सादे समारोह में मां दुर्गा की प्रतिमा को स्थापित किया जाएगा।

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