Published on October 6, 2021 10:15 am by MaiBihar Media
लखीमपुर खीरी हिंसा मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। दो वकीलों ने कोर्ट को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच कराने की अपील की है। वहीं, देशभर के अलग-अलग विपक्षी नेताओं द्वारा कई तरह के बयान सामने आए हैं। जिसमें भाजपा नेता वरूण गांधी का भी बयान शामिल है। आईए जानते हैं खीरी मामले पर विभिन्न नेताओं की प्रतिक्रिया…..
डीएमके – डीएमके नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों को हटाने के बाद ही देश में शांति आएगी।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी – मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी. राजा ने कहा है कि वह संयुक्त किसान मोर्चा के साथ 11 अक्टूबर तक प्रदर्शन करेगी। वहीं माकपा पोलितब्यूरो की सदस्य बृंदा करात ने कहा कि उत्तर प्रदेश में लोकतंत्र को लॉकडाउन में रखा गया है।
समाजवादी पार्टी – समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि उनकी पार्टी 12 अक्टूबर से पूरे उत्तर प्रदेश में ‘समाजवादी विजय यात्रा’ निकालेगी। इस मामले की जज वर्तमान जज से कराए जाने की मांग की है।
शिरोमणि अकाली दल- शिरोमणि अकाली दल के नेता और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने लखीमपुर हादसे में केंद्र की असंवेदनशीलता और निष्क्रियता को आघात बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इंसाफ करने काे कहा है।
भाजपा- भाजपा सांसद वरुण गांधी ने भी सोशल मीडिया पर घटना का वीडियो शेयर कर लिखा, किसानों को गाड़ियों से जानबूझकर कुचलने का वीडियो किसी की भी आत्मा को झकझोर देगा। पुलिस इस वीडियो का संज्ञान लेकर इन गाड़ी मालिकों, इनमें बैठे लोगों, और शामिल अन्य व्यक्तियों को तत्काल गिरफ्तार करे।
कांग्रेस- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने प्रियंका को हिरासत में लिए जाने को गैरकानूनी कदम करार दिया। कहा, गिरफ्तारी गैरकानूनी और सत्ता का दुरुपयोग है। किसी भी महिला को सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। जबकि प्रियंका को अलसुबह 4.30 बजे गिरफ्तार किया। पुरुष अधिकारी ने गिरफ्तार किया, जो गैरकानूनी है।
क्या है मामला -लखीमपुर खीरी के तिकोनिया क्षेत्र में रविवार को उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का कार्यक्रम निर्धारित था। उन्हें केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के पैतृक गांव के दौरे पर जाना था। स्थानीय किसान इसका विरोध कर रहे थे। इसी दौरान भड़की हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में मिश्रा के बेटे आशीष समेत कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।