Published on September 27, 2021 2:32 pm by MaiBihar Media

गृहमंत्री अमित साह की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में पहुंचने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मीडिया से मुखातिब हुए। वहीं जातीय जनगणना को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि देश में जातीय जनगणना होनी चाहिए। इसके लिए बिहार में सभी पार्टियों से बात करेंगे। यह कहना उचित नहीं कि पिछले सोशियो इकोनॉमिक कास्ट सेंसस की रिपोर्ट ठीक नहीं थी, सो जातीय जनगणना नहीं हो सकती। यह पूरे देश की मांग है। इससे सबको फायदा होगा। जातीय जनगणना अगर होगी, तो वह ठीक से होगी। इसके लिए सबकुछ तय रहता है। इसके लिए हमलोगों का भी सुझाव है। यह होगी, तो हर घर में सर्वे किया जाएगा।

10 पार्टियों के लोग एकजुट होकर केंद्र सरकार के सामने अपनी बात रखी है
वहीं मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई ये कहे कि पिछली बार सोशियो इकोनॉमिक कास्ट सेंसस की रिपोर्ट ठीक नहीं है, इसलिए जातीय जनगणना नहीं हो सकती, यह उचित नहीं है। जातीय जनगणना को लेकर बिहार के सारी पार्टी के लोग, 10 पार्टियों के लोग एकजुट होकर केंद्र सरकार के सामने अपनी बात रखी। बिहार विधानमंडल से पहले ही इसके लिए सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित हो चुका है।

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सभी पार्टियों के साथ करेंगे बैठक
वहीं सीएम ने कहा कि हम सभी पार्टियों के साथ बैठक करेंगे। इसको लेकर क्या करना चाहिए इसपर पूरी तरह से बताचीत की जाएगी। प्रधानमंत्री से मिलकर अपनी पूरी बातें रख दीं हैं। जातीय जनगणना कराना देश के हित में है। देश के विकास में ज्यादा सहूलियत होगी।

जातीय जनगणना से देश को होगा विकास
वहीं मीडिया से सीएम ने कहा कि ऐसा नहीं है कि सिर्फ बिहार में ही सभी पार्टी के लोग मांग कर रहे हैं। सभी राज्यों में लोग चाहते हैं कि जातीय जनगणना जरूर होनी चाहिए। इससे देश को भला होगा।

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जातीय जनगणना पर केंद्र की ना के बाद बिहार का सियासी पारा चढ़ा
आपको बता दें की केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर यह कहा गया है कि सरकार पिछड़ी जातियों की जनगणना करवाने के लिए तैयार नहीं है। इससे प्रशासनिक परेशानियां उत्पन्न होंगी। कोर्ट में दायर हलफनामे में केंद्र सरकार का कहना है कि सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना 2011 अशुद्धियों से भरी हुई है। SECC-2011 सर्वे ओबीसी सर्वेक्षण नहीं है। जातीय जनगणना पर केंद्र की ना के बाद बिहार का सियासी पारा चढ़ गया है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि जाति आधारित जनगणना की मांग को राष्ट्र निर्माण में एक आवश्यक कदम के रूप में देखा जाना चाहिए। जातीय जनगणना नहीं कराने के खिलाफ सत्ताधारी दल के पास एक भी तर्कसंगत कारण नहीं है।

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