अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की रजिस्टर्ड वसीयत भी सामने आई है। गद्दी के लिए तीन वसीयत की थीं। जिसमें महंत ने निरंजनी अखाड़े की आखिरी वैध वसीयत में बलबीर गिरि का नाम दिया है। बावजूद इसके उत्तराधिकारी घोषित करने पर असमंजस कायम है। हालांकि वहां के वरिष्ठ वकिलों का कहना है कि बाघंबरी मठ के नियम में वसीयत से ही उत्तराधिकारी तय होता है।जानकारी के मुताबिक बताते चलें कि महंत नरेंद्र गिरि की आखिरी वसीयत के मुताबिक बलबीर गिरि ही अगले महंत बनेंगे। वसीयत के मुताबिक उन्हें पांच परमेश्वरों के मुताबिक अखाड़े का संचालन करना होगा। फिलहाल मामले में जांच जारी है। देखना होगा कि उत्तराधिकारी का औपचारिक ऐलान कब तक किया जाता है।
तीन बार के वसीयत की जानें सच्चाई – महंत ने 2010 में पहली रजिस्टर्ड वसीयत में बलबीर गिरि को उत्तराधिकारी बनाया। फिर 2011 में उन्होंने दूसरी वसीयत की और आनंद गिरि को उत्तराधिकारी बना दिया। नौ साल बाद बाद 2020 में उन्होने पहले की दोनों वसीयत रद्द करते हुए नई वसीयत तैयार कराई। इसमें बलबीर गिरि को फिर उत्तरधिकारी घोषित कर दिया। उनके विवादित सुसाइड नोट में भी बलबीर गिरि को ही उत्तराधिकारी घोषित किया गया है। हालांकि अब मामले में सीबीआई जांच शुरू हो गई है।
एफआईआर के आधार पर सीबीआई कर रही जांच
आपको बता दें कि सीबीआई ने शुक्रवार को आत्महत्या के लिए उकसाने की धारा-306 के तहत केस दर्ज कर लिया है। सीबीआई ने प्रयागराज के जॉर्ज टाउन थाने में दर्ज पुलिस की एपाआईआर को आधार बनाया है। पुलिस ने महंत नरेंद्र गिरि को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में उनके शिष्य रहे आनंद गिरि के साथ बड़े हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या प्रसाद तिवारी और उनके पुत्र को हिरासत में लिया है। बता दें कि महंत ने इसी सोमवार को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। उनके पास सुसाइड नोट मिला था।