Published on August 23, 2021 10:21 pm by MaiBihar Media

अफगानिस्तान पर तालिबान द्वारा सत्ता कब्जा करने के बाद से लोग अपना सबकुछ छोड़ कर अपनी जान जोखिम में डालने के लिए तैयार है। वहीं, दूसरी ओर तालिबान ने सीधे-सीधे अमेरिका और ब्रिटेन को धमकी दे दी है। इस बीच भारत के लिए भी कई तरह की चुनौतियां खड़ी हो गई है। इधर, तालिबान ने यह साफ कर दिया है कि अमेरिकी सेना को वापस जाने के बाद ही वह अफगान में स्थाई सरकार बनाएगा।

अमेरिका को आंख दिखाते हुए तालिबान ने कहा है कि अगर बाइडेन सरकार ने अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को नहीं बुलाया तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। इस बाबत तालिबान प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन अगर 31 अगस्त को अफगानिस्तान छोड़ने की बात कह चुके हैं तो बाइडेन के अपनी बात से मुकरने का कोई मतलब नहीं है।

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इतना ही नहीं तालिबान के प्रवक्ता ने आगे कहा है कि अमेरिका और ब्रिटेन 31 से एक भी दिन आगे मियाद बढ़ाने की बात करते हैं तो ‘नहीं’ जवाब होगा और साथ में गंभीर परिणाम भी भुगतने होंगे। एक सवाल के जवाब में तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि चिंतित या डरने के बारे में नहीं है, वो पश्चिमी देशों में रहना चाहते हैं क्योंकि अफगानिस्तान एक गरीब देश है और अफगानिस्तान के 70 फीसदी लोग गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं। लिहाजा, लोग यहां से भागकर पश्चिमी देशों में रहना चाहते हैं, डर का कोई सवाल नहीं है। साथ ही तालिबान की ओर से यह भी जानकारी दी गई है कि अमेरिकी सेना के जाने के बाद ही यहाँ यानी अफगानिस्तान में स्थाई सरकार बनेगी।

भारत को लेकर बात करें तो भारत की ओर से अभी तक कोई भी स्पष्ट संदेश नहीं दिया गया है कि भारत अफगानिस्तान में तालिबानी शासन को मान्यता देगा या नहीं? तालिबान के शरिया कानून को भारत आगे बढ़ाना चाहेगा या लोकतंत्र को लेकर तालिबान के खिलाफ अपना रूख अपनाएगा। सामरिक मामलों के जानकार और कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को इस मायने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।

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