Published on August 21, 2021 10:42 am by MaiBihar Media

अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्जे का एक हफ्ता भी नहीं हुआ कि उसके खिलाफ विरोध के कई स्वर उठने लगे है। अफगान में पंजशीर इलाका एक मात्र ऐसा इलाका है, जहां आज भी तालिबानी पहुंचे नहीं है और ना ही तालिबानी लड़ाके घुसने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे।

मिली जानकारी के मुताबिक तालिबान लड़ाकों के खिलाफ राजधानी काबुल से सिर्फ 100 किमी दूर पंजशीर घाटी में लोग एकजुट हो रहे हैं। इनमें अफगान सैनिक भी हैं। पिछले 4 दिनों में 30 हजार से ज्यादा अफगानी युवा यहां जुट चुके हैं। जिसमें पंजशीर घाटी के 100 से ज्यादा कबीलों के लड़ाके हैं। इन्हें एकजुट करने की शुरुआत उप राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह और रक्षामंत्री बिस्मिल्लाह खान मोहम्मदी ने 16 अगस्त को ही कर दी थी। इसीलिए तालिबान ने अब तक घाटी की ओर बढ़ने की कोशिश भी नहीं की है। लेकिन, रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अब स्थिति ऐसी है कि कभी भी संघर्ष शुरू हो सकता है।

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गौरतलब हो कि मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आज भी पंजशीर अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में इकलौता है, जहां तालिबानी लड़ाके घुसने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे। वजह साफ है- यहां अहमद मसूद के समर्थक गुटों की अपनी हथियारबंद टुकड़ियां हैं, जो पंजशीर प्रांत की सीमाई चौकियों पर मोर्चा संभाल चुकी हैं। सड़कों पर गश्त कर रही हैं। मुख्य बाजारों पर नाके लगाकर संदिग्धों से पूछताछ कर रही है।

आपको बता दें कि तालिबान के खिलाफ जंग की कमान 32 साल के अहमद मसूद को सौंप दी गई है। अहमद अफगानिस्तान के पूर्व रक्षामंत्री अहमद शाह मसूद के बेटे हैं, जो तालिबान को रोकने के लिए बने नॉर्दर्न अलायंस के मुखिया रहे हैं। पंजशीर वही घाटी है, जिसे तालिबान पहले भी कभी नहीं जीत पाया था।

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