Published on August 24, 2021 4:14 pm by MaiBihar Media

मध्यप्रदेश

वर्तमान में मध्यप्रदेश में लगभग 50% आबादी अन्यपिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की निवासरत है, साथ ही वर्तमान में प्रदेश के मुखिया भी ओबीसी वर्ग से ही संबंध रखते है। समान परिस्थितियों के बाबजूद भी ओबीसी वर्ग के युवाओ और छात्र- छात्राओं के हितों पर सत्ता प्रशासन में बैठे अधिकारियों व कर्मचारियों और उच्च न्यायालय में बैठे जातिवादी मानसिकता के न्यायाधीशों द्वारा लगातार कुठाराघात हो रहा है। यह बात राष्ट्रीय सचिव ओबीसी इंजी. दिनेश कुमार ने कहीं। साथ ही उन्होंने कहा कि शासन द्वारा जारी आंकड़ो के अनुसार प्रदेश के एक बहुत बड़े तबके, लगभग आधी जनसंख्या वाले वर्ग के साथ अन्याय पूर्ण व्यवहार करते हुए उनके अधिकारों का हनन हो रहा है। जिसके न्याय के लिए मुख्यमंत्री आवास का घेराव किया गया। साथ ही उन्होंने बताया कि घेराव के बाद मुख्यमंत्री से विचार करने के लिए निवेदन भी दिए गए हैं। बता दें कि घेराव के दौरान मध्यप्रदेश सरकार ने फोर्स की तैनाती कर दी। ताकि विधि व्यवस्था किसी भी तरह से प्रभावित न हो।

खबर है कि घेराव के बाद ओबीसी महासभा(रजि.) संगठन सहित प्रदेश के समस्त ओबीसी वर्ग के जनसामान्य के प्रतिनिधि संगठन, सामाजिक संगठन ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को निवेदन भी दिए हैं, जिनमें कई मांगे है-

  1. केंद्र सरकार द्वारा NEET प्रवेश परीक्षा में केंद्र द्वारा भरी जाने वाली राज्य कोटे की सीट में ओबीसी आरक्षण नही लागू किया जा रहा है जिससे सैकड़ों ओबीसी के छात्र MBBS, BDS सहित स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम MD/MS/MDS में प्रवेश से वंचित हों रहे है। अतः राज्य पूलिंग कोटे की सीटों में ओबीसी आरक्षण तत्काल बहाल करने हेतु आवश्यक कार्यवाही करने का कष्ट करें।
  2. बर्ष 2021 में होने वाली जनगणना में जातिगत जनगणना करवाने हेतु आवश्यक कार्यवाही करने का कष्ट करें।
  3. माननीय मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में आरक्षण संबंधित लंबित विभिन्न याचिकाओं में जातिवादी मानसिकता से ग्रसित न्यायाधीश द्वारा 10% सवर्ण आरक्षण(EWS) को यथावत रखा गया तथा ओबीसी के 27% आरक्षण को लागू नही कर 13% आरक्षण रिजर्व रखने के अन्यायपूर्ण आदेश दिनाँक 13 जुलाई 21 को पारित कर ओबीसी वर्ग के युवाओं के साथ छलावा किया गया है। उक्त आदेश के विरुद्ध निकट भविष्य में होने वाले विधानसभा सत्र में एक अध्यादेश पारित कर हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त कर ओबीसी के 27% आरक्षण को लागू करवाने का कष्ट करें।
  4. MPPSC/ शिक्षक पात्रता भर्ती एवं अन्य परीक्षाओं में ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण लागू कराने का कष्ट करें।
  5. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की CHO भर्ती में 27% की जगह 6% आरक्षण दिया गया है। इस प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मप्र की संचालक श्रीमती छवि भारद्वाज पर दण्डात्मक कार्यवाही करते हुए तत्काल निलंबित करने का कष्ट करें।
  6. भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा पिछड़ा वर्ग (OBC) को प्रत्येक स्तर पर (प्रदेश से लेकर गांव एवं
    सड़क से लेकर सदन तक) तक जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व (हिस्सेदारी) सुनिश्चित करे।
  7. ओबीसी वर्ग में लागू असंवैधानिक क्रीमीलेयर बाध्यता को समाप्त करने हेतु विधानसभा में विधेयक अथवा आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करे।
  8. ओबीसी वर्ग के छात्रों की छात्रवृति राशि में लगातार कटौती की जा रही है। छात्रों को वाजिब छात्रवृत्ति दिलवाने हेतु कड़े निर्देश जारी करने तथा मप्र शासन के छात्रवृत्ति नियमो की अवहेलना करने वाले अधिकारियों पर दंडात्मक कार्यवाही करने का कष्ट करें।
  9. विभिन्न उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशो द्वारा आरक्षित वर्ग के हितों के विरुद्ध दिए जाने वाले निर्णयो के विरुद्ध कार्यवाही करते हुए जातिवादी मानसिकता के जजो के विरुद्ध महाभियोग चलाने हेतु और न्यायपालिका में आरक्षण लागू करने एवं “राज्य न्यायालयीन सेवा परीक्षा” आयोजित कर हाईकोर्ट में जजो की नियुक्ति करने हेतु आवश्यक कार्यवाही करने का कष्ट करें।
  10. मध्यप्रदेश में निजी क्षेत्रों मे ओबीसी आरक्षण लागू किये जाने का कष्ट करें।
  11. मध्यप्रदेश आरक्षण अधिनियम और तत्सम्बन्धी नियमो को संविधान की 9 वी अनुसूची में डालने के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजने का कष्ट करें।
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उक्त निवेदन के साथ ओबीसी महासभा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से कहा है कि ओबीसी वर्ग के शिक्षित छात्रों, युवाओं के भविष्य को ध्यान में रखते हुए सदियों से शोषित, वंचित, किसान वर्ग, बेरोजगार, सामाजिक व शैक्षणिक रूप से पिछड़े ओबीसी वर्ग के हक अधिकार की रक्षा के लिए आवश्यक कार्यवाही करना सुनिश्चित करे।

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