Published on August 24, 2021 4:13 pm by MaiBihar Media

आईएएस अधिकारी और बिहार कर्मचारी चयन आयोग के पूर्व चेयरमैन सुधीर कुमार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर करने घंटों थाना में बैठे रहे लेकिन पुलिस ने इस मामले को दर्ज नहीं किया और इंकार कर दिया। जिसके बाद इस मामले में अब राजनीतिक सरगर्मी शुरू हो गई है। एक तरफ जहां नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तंज कसा है। वहीं इस मामले में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और जमुई सांसद चिराग पासवान ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है।

गौरतलब हो कि पूर्व आईएएस सुधीर कुमार ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा है कि मामला फर्जीवाड़े से जुड़ा हुआ है। शिकायत में जिन लोगों का नाम है उनमें शिर्ष से लेकर निचले स्तर तक के लोग शामिल हैं। मैं किसी का नाम नहीं लूंगा। हालांकि बार-बार सवाल किए जाने पर सुधीर कुमार ने कहा कि हां, मुख्यमंत्री का भी नाम है। इसके साथ ही उन्होंने एक और अधिकारी का नाम शिकायत में जिक्र करने की बात स्वीकारी और बताया कि वह नाम पटना के पूर्व एसएसपी मनु महाराज हैं। वही, पूरे मामले में गर्दनीबाग के एसएचओ अरुण कुमार ने कहा है कि शिकायत मिली है और आईएएस अधिकारी सुधीर कुमार सर को पावती दी गई हैं। सभी आवश्यक कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जाएगा। हालांकि, जब पत्रकारों ने एसएचओ से मुख्यमंत्री का नाम शामिल होने की जानकारी मांगी तो उन्होंने भी विवरण देने से मना कर दिया।

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बड़े हस्तियों का नाम उछलते देख विपक्ष भी चुप बैठने वाला नहीं है। इस बीच तेजस्वी यादव ने नीतीश पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि ” बिहार सरकार में एक IAS अधिकारी जो मुख्य सचिव के पद पर है पिछले 5-6 घंटे से थाने में बैठे हैं। थाने में उनकी FIR दर्ज़ नहीं हो रही। एक मुख्य सचिव स्तर का अधिकारी पूरे सबूतों के साथ मुख्यमंत्री और उनके अधिकारियों पर FIR करने पहुंचता है लेकिन FIR दर्ज़ नहीं होती “वहीं, एक ट्वीट कर तेजस्वी यादव में लिखा है कि एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सैंकड़ों पन्नों के सबूत सहित मुख्यमंत्री के खिलाफ केस दर्ज कराने थाना जाये और उसकी शिकायत ही दर्ज नहीं की जाये तो आप उसे क्या कहेंगे? नीतीश कुमार का डर बता रहा है कि उन्होंने गड़बड़ की है तभी इतनी बौखलाहट और बेचैनी है।

मामले में राजनीतिक रंग देने में जुटे विपक्षी दल के नेताओं के सुर में सुर मिला रहे चिराग भी पीछे नहीं हटे। उन्होंने भी नीतीश कुमार को टैग करते हुए ट्वीट कर कहा कि ” अनुसूचित जाति को दलित और महादलित में बाँट अंग्रेजों की तरह राज करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश जी आज तक अनुसूचित जाति से आने वाले लोगों का दमन कर रहे हैं। अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी की SC/ST थाने में साक्ष्य प्रस्तुत करने के बाद भी FIR दर्ज में इतनी कठिनाई क्यों ? ” उधर मामले में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने कहा है कि नीतीश कुमार ने बिहार को सर्कस बना दिया है। खबर पढ़, माथा पकड़िए। नीतीश कुमार द्वारा कुचक्र रच अनुसूचित जाति वर्ग के कर्मठ अपर मुख्य सचिव के साथ ऐसा सलूक करना और स्वयं सहित भ्रष्ट अधिकारियों को बचाना नीतीश कुमार के असल चाल चरित्र और चेहरे को उजागर करता है।

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सुधीर कुमार अगले वर्ष की शुरुआत में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। दिलचस्प बात यह है कि बीएसएससी की नौकरी भर्ती घोटाला में नाम आने के बाद उन्हें 3 वर्ष जेल की सजा काटनी पड़ी। पिछले वर्ष अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी थी। उन्होंने अपनी शिकायत का ब्यौरा देने से इंकार कर दिया और कहा कि यह दस्तावेजों के फर्जीवाड़े से जुड़ा हुआ है। जब पूछा गया कि उन्होंने लगभग कितने लोगों का नाम शिकायत में लिया है तो उन्होंने कहा मैं गिनती नहीं करता। साथ ही उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि बिहार में सुशासन देखिए कि एक आईएएस अधिकारी को चार से पांच घंटे का इंतजार कराया गया। प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई, मुझे मेरे शिकायत की पावती दी गई। मार्च में जब मैं शास्त्री नगर थाने में इन्हीं दस्तावेजों के साथ गया था तो यही बात हुई थी। उन्होंने कहा कि पुरानी शिकायत की प्रगति के बारे में सूचना जुटाने का प्रयास भी विफल हुआ जिसमें आरटीआई भी शामिल है।

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