Published on August 24, 2021 4:12 pm by MaiBihar Media

सोशल मीडिया पर एक बार फिर से आरक्षण का मुद्दा गरमा उठा है। नीट में हुए ओबीसी आरक्षण में कटौती को लेकर लोगों में फिर से उबाल है। दरअसल, विगत वर्ष हुए ओबीसी कोटे में आरक्षण की कटौती को दरकिनार कर हाल में बने शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को ट्वीट कर जानकारी दी कि ” नीट (यूजी) 2021 देशभर में 12 सितंबर 2021 को कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए आयोजित किया जाएगा। आवेदन प्रक्रिया कल शाम 5 बजे से एनटीए की वेबसाइट (वेबसाइटों) के माध्यम से शुरू होगी।” ऐसे में स्पष्ट हो गया कि ओबीसी कोटे के हुए आरक्षण की कटौती इसबार आमंत्रित आवेदन पर पूर्ण रूप से लागू होगी। जिसके बाद ओबीसी समाज के लोगों में उबाल देखने को मिल रहा है।

गौरतलब हो कि विगत वर्ष हुई ओबिसी आरक्षण की कटौती को एमके स्टालनी ने कोर्ट तक चुनौती दी थी। वहीं, इस बार राजद नेता और बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आरक्षण पर एक के बाद कई ट्वीट किए हैं। पहले ट्वीट में शिक्षा मंत्री के ट्वीट पर रिप्लाई करते हुए लिखा है “मोदी सरकार ने मेडिकल एंट्रेंस #NEET के अखिल भारतीय कोटा में पिछड़ों का आरक्षण लागू किए बिना ही प्रवेश परीक्षा की घोषणा कर हज़ारों पिछड़े/अतिपिछड़े वर्गों की पीठ में ख़ंजर घोंपने का काम किया है। BJP, RSS और केंद्र सरकार, पिछड़े वर्गों के सभी हकों को छीनकर उन्हें हलाल कर रही है।” आगे लिखा है कि “मोदी सरकार क्यों नहीं चाहती कि पिछड़े वर्गों के छात्र डॉक्टर बने? आख़िर भाजपा को देश के 60% फ़ीसदी से अधिक आबादी वाले पिछड़े/अतिपिछड़ों से नफ़रत क्यों है? नीतीश कुमार जैसे BJP के सहयोगी #NEET परीक्षा में पिछड़ों का आरक्षण ख़त्म करवाने पर क्यों तुले है? मोदी जी OBC से घृणा क्यों?”

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विभिन्न दलों ने सरकार के इस कदम की आलोचना की वहीं, आजाद समता पार्टी के चीफ सह भीम आर्मी के संस्थापक चन्द्रशेखर में बुधवार को ट्वीट कर लिखा है ” NEET में ओबीसी आरक्षण खत्म करके सरकार ने ओबीसी समाज के साथ घोर अन्याय किया है। यहां पिछले चार सालों में 11000 से अधिक OBC छात्रों का हक छीना गया।वहीं उत्तर प्रदेश के 69 हजार शिक्षक भर्ती के मामले में भी ओबीसी के साथ हकमारी की गई। भाजपा पिछड़ों से इतनी नफरत क्यों करती है?” वहीं, ओबीसी कोटे के आरक्षण को लेकर कांग्रेस भी पीछे नहीं है। पिछले साल सोनिया गांधी में भी आवाज उठायी थी और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर आरक्षण की कटौती से हुए नुकसान को अवगत कराया था। एक बार फिर से डीएमके, राजद और आजाद समता पार्टी समेत विभिन्न दलों के नेता सरकार के इस कदम की आलोचना की है।

किसे फायदा किसे नुकसान

बता दें कि विगत दिनों मेडिकल प्रवेश परीक्षा ‘नीट’ के आरक्षण नियमों में इस वर्ष बड़ा बदलाव किया गया।  इससे अच्छे अंक पाने वाले आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी सामान्य मेरिट में जगह नहीं बना पाएंगे। वहीं, कम अंक पाने वाले सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिलेगा। इस वर्ष आमंत्रित आवेदन में मेडिकल एंट्रेंस NEET के ऑल इंडिया कोटा में SC और ST ने अपना 22.5% हिस्सा ले लिया। ओबीसी अपना 27% नहीं ले पाए। बदले में उन्हें 27 OBC मंत्री दिए गए हैं।

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क्या कह रही है सरकार

सरकार ने मंगलवार की रात कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट में 2015 का सलोनी कुमारी केस चलेगा, तब तक NEET के ऑल इंडिया कोटा में OBC आरक्षण सिर्फ केंद्र के कॉलेजों में दिया जाएगा। अब ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि केस का क्या है? 30-40 साल भी चल सकता या जल्द भी फैसला लिया जा सकता है। सोशल मीडिया पर चल रही मांगों में ओबीसी के लोगों का कहना है कि सरकार की दलील अगर सलोनी केस मामले को लेकर है तो जल्द फैसला लें जैसे जल्दी EWS में ली गयी थी। 48 घंटे में संविधान संशोधन हो गया था। जबकि EWS आरक्षण के ख़िलाफ़ भी सुप्रीम कोर्ट में केस चल रहा है।

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