Published on August 24, 2021 4:11 pm by MaiBihar Media
कोरोना के समय में बिहार सरकार ने दूरदर्शन पर ऑनलाइन पठन-पाठन हेतु बच्चों के कक्षाओं को संचालित करने का खुब प्रचार-प्रसार किया। लेकिन सच्चाई यह है कि बिहार में केवल 14 फीसदी स्कूली छात्रों के पास कंप्यूटर है। इसकी खुलासा एक सर्वे से हुआ है। जिसके बाद बिहार सरकार की किरकीर हो रही है। हैरान करने वाली बात यह है कि बिहार का पड़ोसी राज्य झारखंड में 73 फीसदी छात्रों की पहुंच कंप्यूटर तक है।
मालूम हो कि हाल ही में यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन(UDISE) की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में पांच में से एक स्कूल में कंप्यूटर काम कर रहा था। इतना ही नहीं रिपोर्ट में बताया गया है कि काम कर रहें कंप्यूटर में भी केवल एक में ही सीमित संख्या में इंटरनेट कनेक्शन था। ऐसा तब जब कोरोना के कारण छात्रों के लिए ऑनलाइन अध्ययन ही एकमात्र विकल्प था। ऐसे में जूम या रिकॉर्ड किए गए लेक्चर, ईमेल, व्हाट्सएप या शैक्षिक ऐप, लाइव क्लास की उपलब्धता पूरी तरह से इस बात पर निर्भर थी कि स्कूलों, शिक्षकों और अभिभावकों के पास कंप्यूटर या इंटरनेट जैसी बुनियादी सुविधाओं की पहुंच है या नहीं।
बहरहाल, शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने भी स्वीकर किया है कि राज्य के स्कूलों में डिजिटल तकनीक का अभाव है। आर्थिक रुप से पिछड़े राज्य में, विशेष रुप से ग्रामीण क्षेत्रों में, बच्चों के पास अपनी ऑनलाइन पढ़ाई जारी रखने के लिए डिजिटल उपकरण नहीं थे। मंत्री ने कहा कि ‘सरकार पहले से ही इस समस्या से अवगत है और कुछ समय पहले, केंद्र सरकार से छात्रों को स्मार्टफोन और लैपटॉप जैस् आवश्यक डिजिटल उपकरण प्रदान करने एं इंटरनेट के साथ अच्छी संख्या में कंप्यूटर स्थापित करने के लिए समग्र शिक्षा योजना के तहत आवश्यक धनराशि स्वीकृत करने का अनुरोध किया था। ताकि बच्चों को परेशानी न हो’
हालांकि छात्रों के पठन-पाठन पर गौर करें तो पिछले साल मार्च में कोविड-19 मामलों में वृद्धि के कारण देशव्यापी लॉकडाउन लगाया गया था। तब से स्कूली बच्चों को शिक्षा सिर्फ और सिर्फ डिजिटल तकनीक के माध्यम से देना संभव था।
बता दें कि बिहार में आज से अनलॉक-4 की शुरुआत हो गई है। जिसके अंतर्गत राज्य सरकार ने नियमों को सख्ती से पालन करते हुए स्कूल, कॉलेज व रेस्टोरेंट खोलने की इजाजत दे दी है। लंबे अरसे बाद फिर से पठन-पाठन का कार्य शुरु हो रहा है। हालांकि शैक्षणिक संस्थानों में उच्च शिक्षा वाले क्षेत्रों को ही अनुमती मिली है। जबकि स्कूलों में इंटर तक खोले जानी की छूट दी गई है।