Published on August 24, 2021 4:11 pm by MaiBihar Media
करीब दो सालो बाद बिहार सरकार ने छठे दौर के शिक्षकों के नियोजन प्रक्रिया में तेजी लाने में जुटी है। उम्मीद है कि 15 अगस्त से पहले चयनित अभ्यर्थियों को नियोजन पत्र सौंप दिया जाएगा और शिक्षकों के कमी को दूर किया जाएगा। बिहार में सभी जिलों में संचालित सरकारी स्कूलों की बात की जाए तो सरकारी स्कूल में शिक्षकों की भारी कमी है। सिर्फ राजधानी की बात करें तो यहां पॉश इलाके व नामी सरकारी स्कूल में भी शिक्षकों की कमी है। हालांकि, शिक्षा विभाग ने छठे दौर के नियोजन से जुड़ा संशोधित शेड्यूल जारी करने से स्थिति में सुधार की उम्मीदें बढ़ गई है।
राजधानी में भी है शिक्षकों की कमी
मालूम हो कि सवा लाख शिक्षक नियोजन की प्रक्रिया करीब दो सालों से लंबित थी, अब उसके पूरे होने के असार दिख रहे है। विभाग ने छठे दौर की कांउसिलिंग की तारीख जारी कर दी है। देखना होगा की प्रदेश में शिक्षको की कमी को दूर करने के लिए सरकार और क्या रणनीति अपनाती है। क्योंकि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी महसूस की जा रही है। दूर दराज के इलाकों की बात छोड़िए राजधानी पटना के कई स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। शिक्षकों की कमी से जूझ रहे स्कूलों के प्रधान अध्यापक बताते हैं कि ‘शिक्षा विभाग को शिक्षकों के खाली पदों की जानकारी है लेकिन बात नहीं बन रही है। लेकिन छठे और सातवें दौर का नियोजन पूरा होने के बाद खाली पड़े पदों के भरे जाने की उम्मीद है’
शिक्षकों के कमी के उपर भारी पड़ा कोरोना
वहीं, दूसरी तरफ स्कूलों की स्थिति पर बात की जाए तो सरकारी स्कूलों में आज जो शिक्षक हैं उनमें कई लोग अगले कुछ सालों में ही रिटायर्ड हो जाएंगे। बहरहाल, सवाल उठता है कि अगर राजधानी के सरकारी स्कूलों की ये हालात है तो अन्य जिलों के स्कूलों की क्या हालात होंगी। उपर से कोरोना ने भी पिछले एक साल से पठन-पाठन कार्यों पर ब्रेक लगा दिया है। वैक्सीन आने के बाद लोगों ने राहत की सांस जरुर ली है। हालांकि अभी भी स्कूल-कॉलेजों को खोलने का निर्णय नहीं लिया गया है। डेल्टा प्लस वेरिएंट को लेकर लोग सतर्क है।