Published on August 24, 2021 4:16 pm by MaiBihar Media

राजद सांसद प्रोफेसर मनोज कुमार झा ने सदन में बोलते हुए सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया कि कोरोना के दौरान देशभर में क्या स्थिति उत्पन्न हुई थी। सदन में उनके द्वारा बोले गए एक-एक शब्द आप यहां पढ़ सकते हैं।

सदन में उन्होंने कहा – एक शोक संतप्त गणतंत्र के अदने से नागरिक की पीड़ा को सुनिए… मौत के आँकड़े मत ढूँढिए अपनी पीड़ा में आँकड़े ढूँढिए… जो लोग गए वे ज़िंदा दस्तावेज़ छोड़ कर गए हैं हमारी विफलता का… जो लाशें गंगा में बहीं उनके के लिए सामूहिक माफ़ीनामा लिखिए..

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वेलफ़ेयर स्टेट में ग़रीबों का स्टेक है… ‘मुफ़्त राशन’, ‘मुफ़्त वैक्सीन’ के विज्ञापन क्यों! जब आप एक सांसद की नहीं सुन रहे तो जो अदना संविदा वाले नौकरी से निकाले गए उनकी कौन सुनेगा साहब… कोई सुनने वाला नहीं है…

डेढ़ महीने के कोरोना काल में केन्द्र नहीं कई राज्य सरकारें भी नदारत थी। वो डेढ़ महीना इस मुल्क ने कैसे बिताया है डरावना लगता है सर…“आहत हूँ… जगाना चाहता हूँ… ख़ुद को भी… आप को भी… फिर मेरी बात बुरी लगे तो माफ़ी माँगता हूँ… उन लाखों लोगों की लाशों के बिना पर…”

जब हाहाकार मचा था तब लोगों की मदद की ख़ातिर राजद सांसद लगातार संपर्क में थे और संसद में उभरी इस पीड़ा के पीछे भी उनकी संवेदना सदन में देखने लायक थी।

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